झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता होगी खत्म! चुनाव आयोग ने राज्यपाल को सदस्यता रद्द करने संबंधी अपनी राय भेजी

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडराने लगा है। दरअसल, चुनाव आयोग ने राज्यपाल को हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने से संबंधित अपनी राय भेज दी है। चुनाव आयोग ने लाभ के पद पर होने के आरोपों पर भी अपनी राय भेजी है। इस बीच ताजा जानकारी मिली है कि राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली से रांची पहुंच चुके हैं। रांची एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद जब मीडिया ने उनसे चुनाव आयोग की रिपोर्ट के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है। मैं दिल्ली एम्स में इलाज करवाने के लिए गया था। राजभवन पहुंचकर इसकी जानकारी लूंगा। वहीं इस बात की जानकारी मिलने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा लगता है कि भाजपा के नेताओं सहित उनके सांसद और उनके कठपुतली पत्रकारों ने खुद चुनाव आयोग की रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है, जिसे अन्यथा सील कर दिया गया है। संवैधानिक प्राधिकरणों और सार्वजनिक एजेंसियों का घोर दुरुपयोग और शर्मनाक तरीके से भाजपा मुख्यालय द्वारा इसका अधिग्रहण भारतीय लोकतंत्र में अनदेखी है।

क्या हैं सीएम सोरेन पर आरोप
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने इस साल फरवरी में दावा किया था कि सोरेन ने अपने पद का दुरुपयोग किया और खुद को खनन पट्टा आवंटित किया। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें हितों के टकराव और भ्रष्टाचार दोनों शामिल हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के उल्लंघन का भी आरोप लगाया। विवाद का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने मई में सोरेन को एक नोटिस भेजकर खनन पट्टे पर उनका पक्ष मांगा था।
पट्टे का स्वामित्व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन
चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा था कि पट्टे का स्वामित्व जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9ए का उल्लंघन करता हैए जो सरकारी अनुबंधों आदि के लिए अयोग्यता से संबंधित है। यह मामला अभी भी चुनाव आयोग के पास लंबित है। झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष याचिका में खनन पट्टा देने में कथित अनियमितताओं और मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों और सहयोगियों से कथित रूप से जुड़ी कुछ मुखौटा कंपनियों के लेनदेन की जांच की मांग की गई थी। अदालत ने तीन जून को कहा था कि उसकी राय है कि रिट याचिकाओं को विचारणीयता के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है और वह योग्यता के आधार पर मामलों की सुनवाई करेगा।
