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पिछले साढे़ तीन सालों की 4244.5 करोड़ की सांसद निधि नहीं जारी हुई

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काशीपुर। राजनीतिक दल जनसेवा करने का भले ही कितने दावे कर लें, लेकिन सभी का हाल एक जैसा है। सांसद निधि के मामले सभी दल उदासीनता दिखते हैं। आंकड़े तो ये ही बयां कर रहे हैं। विभिन्न सांसदों की सांसद निधि की किस्तें पिछली सांसद निधि किस्त के खर्च संबंधी प्रमाण, ऑडिट रिपोर्ट आदि प्राप्त न होने के चलते जारी नहीं हुई हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार के अंतर्गत सरकार के सांसद निधि के नोड विभाग सांख्यिकी एवं क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराई गई सूचना से हुआ है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने भारत सरकार के सांसद निधि जारी करने वाले नोडल मंत्रालय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय से वर्तमान सांसदों के सांसद निधि जारी करने की सूचना मांगी। इसके उत्तर में उपनिदेशक एवं केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी विकास निगम ने वांछित सूचनाओं का एम पी लैैड्स वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक का विवरण उपलब्ध कराया है। इस लिंक से 15 नवंबर 2022 को उपलब्ध सूचना डाउनलोड करने पर वर्ष 2019-20, 2020-21, 2021-22 और 2022-23 (15 नवंबर 22 तक) 4244. 5 करोड़ की सांसद निधि जारी नहीं होने का खुलासा हुआ।
नदीम को उपलब्ध विवरण के अनुसार 9 नवंबर 2022 तक जारी न होने वाली कुल 4244.5 करोड़ की सांसद निधि में 2889 करोड़ लोक सभा सदस्यों की और 1355.5 करोड़ की राज्य सभा सदस्यों की सांसद निधि शामिल है। सूचना के अनुसार 2019-22 तक साढ़े तीन वर्ष की अवधि की 53.89 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष की नौ नवंबर तक केवल 21 प्रतिशत सांसद निधि ही जारी हुुई है। सांसद निधि खर्च करने के मामले में राज्य सभा सदस्यों से लोक सभा सांसद आगे है जहां राज्य सभा सदस्यों की 49.66 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है, वहीं लोकसभा सदस्यों की 55.65 प्रतिशत सांसद निधि जारी हुई है।
वर्ष 2019-22 की सांसद निधि 60 प्रतिशत से अधिक जारी होने वाले राज्यों में नगालैंड (79 प्रतिशत), मिजोरम (69), असम (68), छत्तीसगढ़ (66), मेघालय (65) मध्य प्रदेश (62) पंजाब (61 प्रतिशत) शामिल हैं। जबकि 51 से 60 प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में अरुणाचल प्रदेश (60 प्रतिशत), गुजरात (59), चंडीगढ़ (58), दमन एवं दीव (58), सिक्किम (58), उड़ीसा (58), जम्मू कश्मीर (57), हिमाचल प्रदेश (56), उत्तराखंड (56), उप्र (56), कर्नाटक (54), मनोनीत सांसद (54), तमिलनाडु (53), झारखंड (53), मणिपुर (53), त्रिपुरा (53) और पश्चिम बंगाल (52 प्रतिशत) शामिल है। 41 से 50 प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में राजस्थान (50 प्रतिशत), पुडुचेरी (50), महाराष्ट्र (49), हरियाणा (48), तेलंगाना (46), आंध्र प्रदेश (45) और अंडमान निकोबार द्वीप (42 प्रतिशत) शामिल है।
40 व कम प्रतिशत तक जारी होने वाले राज्यों में गोवा (40 प्रतिशत), दिल्ली (38), दादर एवं नागर हवेली (37) और लक्षद्वीप (21 प्रतिशत) शामिल है।