IFS संजीव चतुर्वेदी मामले में एक और जज ने खुद को किया अलग, अब तक 16 जस्टिस सुनवाई से कर चुके इनकार
नैनीताल (पीटीआई)। उत्तराखंड कैडर के भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामले की सुनवाई से एक और जज ने खुद को अलग कर लिया है। उत्तराखंड हाईकोर्ट न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने भी खुद को इस मामले से अलग कर लिया है। आईएफएस अधिकारी संजय चतुर्वेदी से जुड़े मामले से खुद को अलग करने वाले न्यायमूर्ति आलोक वर्मा 16 वें जज हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने वरिष्ठ भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी और व्हिसलब्लोअर संजीव चतुर्वेदी की ओर से केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) एवं उसकी रजिस्ट्री के सदस्यों के खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इसके साथ ही संजीव चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग करने वाले न्यायाधीशों की संख्या 16 हो गई है।

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मुख्य सतर्कता अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने वाले आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को सरकारी एजेंसियों के साथ चल रही कानूनी लड़ाई में बार-बार सुनवाई से अलग होने का सामना करना पड़ा है। इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट के 3 न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी भी संजीव चतुर्वेदी से संबंधित मामलों से हट गए थे।
इसके अलावा 12 अन्य न्यायाधीशों ने उन मामलों से खुद को अलग कर लिया था, जिनमें संजीव चतुर्वेदी पक्षकार थे। इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति यूसी ललित और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई भी शामिल हैं। इससे पहले नैनीताल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने एक आपराधिक मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
कैट की न्यायाधीश हरविंदर कौर ओबेरॉय और बी आनंद की खंडपीठ ने आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के मामलों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) के अध्यक्ष, शिमला की एक निचली अदालत के एक न्यायाधीश और दिल्ली व इलाहाबाद पीठ के 8 कैट न्यायाधीशों ने भी अलग-अलग समय पर चतुर्वेदी के मामलों से खुद को अलग कर लिया था।
संजीव चतुर्वेदी के अनुसार, यह देश में एक रिकॉर्ड है, जहां 16 न्यायाधीशों ने किसी व्यक्ति के मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया। इससे पहले 10 न्यायाधीशों ने गैंगस्टर, राजनेता अतीक अहमद मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। वर्तमान अवमानना मामला केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (CAT) की ओर से आईएफएस संजीव चतुर्वेदी के खिलाफ 17 अक्टूबर 2024 को शुरू की गई स्वतः संज्ञान कार्यवाही से उत्पन्न हुआ है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 7 अक्टूबर 2025 तक मामले पर रोक लगा दी थी, लेकिन कैट ने 12 सितंबर को एक वरिष्ठ अधिवक्ता को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए मामले की सुनवाई शुरू कर दी। चतुर्वेदी ने इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं, न्यायमूर्ति आलोक वर्मा ने 8 अक्टूबर को अपने संक्षिप्त आदेश में बिना कोई कारण बताए कहा ‘इसे किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करें।’