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बड़ी खबर : मानहानि केस में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से राहत, मामला लंबित रहने तक सजा पर लगाई रोक

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिल गई है। कोर्ट ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश में कांग्रेस नेता की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी पर मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, कोर्ट की टिप्पणी के अलावा ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई विशेष कारण नहीं बताया गया। यदि सजा एक दिन भी कम होती तो अयोग्यता से संबंधित प्रावधान लागू नहीं होता। ट्रायल जज से कम से कम यह अपेक्षा की जाती है कि वह गैर संज्ञेय अपराध के लिए अधिकतम सजा देने के कारण बताएं। हालांकि, अपीलीय अदालत और हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करने में काफी पन्ने खर्च किए हैं, लेकिन इन पहलुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है। ऐसे मामलों में सार्वजनिक व्यक्ति से कुछ हद तक सावधानी बरतने की अपेक्षा की जाती है।

आदेश के मुताबिक, ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ। इन बातों को ध्यान में रखते हुए विशेष रूप से यह कि ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा के लिए कोई कारण नहीं दिया गया है जिससे अयोग्यता हुई है, कार्यवाही के लंबित रहने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है। अपील के लंबित रहने से अपीलीय अदालत को कानून के अनुसार निर्णय लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

राहुल के वकील की दलील
इससे पहले राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस शुरू की। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि उन्हें सजा पर रोक के लिए आज एक असाधारण मामला बनाना होगा। राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का मूल उपनाम ‘मोदी’ नहीं है और उन्होंने बाद में यह उपनाम अपनाया। राहुल ने अपने भाषण के दौरान जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से एक ने भी मुकदमा नहीं किया। यह 13 करोड़ लोगों का एक छोटा सा समुदाय है और इसमें कोई एकरूपता या समानता नहीं है। सिंघवी ने कहा कि इस समुदाय में केवल वही लोग पीड़ित हैं जो भाजपा के पदाधिकारी हैं और मुकदमा कर रहे हैं।

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जज इसे नैतिक अधमता से जुड़ा गंभीर अपराध मानते हैं। यह गैर-संज्ञेय और जमानती अपराध है। मामले में कोई अपहरण, बलात्कार या हत्या नहीं की गई है। यह नैतिक अधमता से जुड़ा अपराध कैसे बन सकता है? उन्होंने आगे कहा कि लोकतंत्र में हम असहमति रखते हैं। राहुल गांधी कोई कट्टर अपराधी नहीं हैं। राहुल गांधी पहले ही संसद के दो सत्रों से दूर रह चुके हैं।

पूर्णेश मोदी के वकील की दलील
‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि पूरा भाषण 50 मिनट से अधिक समय का था और भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भाषण के ढेर सारे सबूत और क्लिपिंग संलग्न हैं। जेठमलानी का कहना है कि राहुल गांधी ने द्वेषवश एक पूरे वर्ग को बदनाम किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले राहुल गांधी को आगाह किया था, जब उन्होंने कहा था कि राफेल मामले में शीर्ष अदालत ने प्रधानमंत्री को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि उनके आचरण में कोई बदलाव नहीं आया है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- अधिकतम सजा क्यों दी गई?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट का फैसला काफी दिलचस्प है। राहुल गांधी की सजा कम भी हो सकती थी। वह जानना चाहता है कि अधिकतम सजा क्यों दी गई? कोर्ट का मानना है कि अगर जज ने एक साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी अयोग्य नहीं ठहराए जाते।

पूर्णेश मोदी ने हलफनामे में क्या कहा?

  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी ने 31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राहुल गांधी ने अपनी सभी चोरों के नाम मोदी उपनाम वाली टिप्पणी पर माफी मांगने के बजाय अहंकार दिखाया है।
  • पूर्णेश मोदी ने कहा कि राहुल ने अपने लापरवाह और दुर्भावनापूर्ण शब्दों से पूरी तरह से निर्दोष वर्ग के लोगों को बदनाम किया है। ट्रायल कोर्ट के समक्ष सजा सुनाते समय याचिकाकर्ता (राहुल) ने पश्चाताप और खेद व्यक्त करने के बजाय अहंकार दिखाया।
  • उन्होंने दलील दी थी राहुल गांधी ने कई मौकों पर अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगने से मना कर दिया है। राहुल की दोषसिद्धि और सजा को रद्द नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने समुदाय के प्रति अपनी नफरत दिखाते हुए एक निर्वाचित प्रधानमंत्री और मोदी उपनाम वाले सभी व्यक्तियों को बदनाम किया था।

राहुल ने क्या जवाब दाखिल किया?

  • राहुल ने अपने हलफनामे में कहा कि याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया का उपयोग करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस न्यायालय द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
  • हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने हमेशा कहा है कि वह अपराध का दोषी नहीं है। दोषसिद्धि टिकाऊ नहीं है। अगर उसे माफी मांगनी होती और समझौता करना होता तो वह बहुत पहले ही ऐसा कर चुके होते।
  • राहुल गांधी ने कहा कि उनका मामला असाधारण है, क्योंकि अपराध मामूली है और एक सांसद के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने से उन्हें अपूरणीय क्षति हुई है। इसलिए प्रार्थना की जाती है कि राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाई जाए, जिससे वह लोकसभा की चल रही बैठकों और उसके बाद के सत्रों में हिस्सा ले सकें।
  • उन्होंने दावा किया कि रिकॉर्ड में ‘मोदी’ नाम का कोई समुदाय या समाज नहीं है। केवल मोदी वणिका समाज या मोध घांची समाज ही अस्तित्व में है। इसलिए समग्र रूप से मोदी समुदाय को बदनाम करने का अपराध नहीं बनता है।