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चम्पावत में बारात के दौरान जंगल में आग लगने पर दर्ज हुआ मुकदमा, वन विभाग ने शुरू की जांच

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चम्पावत। चम्पावत वन प्रभा के चम्पावत रेंज के तहत जंगल के रास्ते से गुजरी एक बारात में शामिल बारातियों की कथित लापरवाही से जंगल के बड़े हिस्से में वनाग्नि की घटना हो गई। मामले को लेकर वन विभाग ने भारतीय वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। बारातियों की लापरवाही से जंगल में आग लगने का वन प्रभाग में यह पहला मुकदमा है।

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मालूम हो कि प्रभागीय वनाधिकारी नवीन चंद्र पंत के दिशा-निर्देशन में वन विभाग वनाग्नि काल के दौरान एक विशेष जनजागरूकता अभियान संचालित कर रहा है। प्राय: देखा गया है कि पर्वतीय क्षेत्रों में विवाह समारोहों के दौरान आतिशबाजी के चलते या फिर असावधानी के कारण वनाग्नि की घटनाएं घटित हो जाती हैं। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए, वन विभाग की ओर से विवाह समारोहों में नवदंपति को पौधा भेंट कर वनों की सुरक्षा का संकल्प दिलाया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य जनभागीदारी के माध्यम से वनाग्नि नियंत्रण को प्रभावी बनाना है।

डीएफओ नवीन चंद्र पंत ने बताया है कि शुक्रवार 25 अप्रैल को ग्राम कुकडोनी में बबीता पुत्री पुष्कर सिंह बिष्ट के घर सूरज सिंह भंडारी पुत्र गंगा सिंह भंडारी, ग्राम कांडा की बारात सल्ली-कुकडोनी पैदल मार्ग से ग्राम कुकडोनी पहुंची। इस अवसर पर वन आरक्षी बलवंत भंडारी पौधे लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए विवाह स्थल की ओर जा रहे थे, तब उन्होंने मार्ग में नीचे वन क्षेत्र में आग लगी देखी। जिसकी सूचना तत्काल वन क्षेत्राधिकारी चम्पावत को दी गई और तत्काल वनाग्नि नियंत्रण का प्रयास भी प्रारंभ किया गया।

डीएफओ ने बताया कि प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि बारात द्वारा वन क्षेत्र से गुजरते समय हुई लापरवाही से वनाग्नि की घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप सल्ली वन पंचायत एवं सल्ली आरक्षित वन भूमि में लगभग 14 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ। इस संबंध में भारतीय वन अधिनियम, 1927 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत वन अपराध पंजीकृत किया गया है। जांच के उपरांत दोषियों के विरुद्ध नियमानुसार विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। चम्पावत वन प्रभाग में बारात की लापरवाही से वनाग्नि के कारण पंजीकृत यह प्रथम मामला है।

आनंदोत्सव के साथ-साथ वनों की सुरक्षा का भी रखें ख्याल

डीएफओ चम्पावत नवीन चंद्र पंत ने लोगों से अपील की है कि विवाह अथवा अन्य मांगलिक आयोजनों के दौरान आनंदोत्सव के साथ-साथ वनों की सुरक्षा का भी विशेष ध्यान रखें। विभागीय कार्रवाई का उद्देश्य वनों की रक्षा करना है, न कि सामाजिक आयोजनों में बाधा उत्पन्न करना। उन्होंने कहा कि वनों का बचाव हम सभी की जिम्मेदारी के साथ साथ हम सभी का नैतिक कर्तव्य भी है।

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