चम्पावत ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी खतरे में!, अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुटे कुछ सदस्य
चम्पावत। मुख्यमंत्री के उप चुनाव की सरगर्मी अभी थमी ही है कि चम्पावत में फिर से एक नई राजनीतिक सरगर्मी शुरू हो चुकी है। कहा जा रहा है कि अब ब्लाक प्रमुख की कुर्सी खतरे में है। कुछ क्षेत्र पंचायत सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में जुट गए हैं। हो सकता है वे आज भी इस संबंध का पत्र जिलाधिकारी को सौंप दें। अविश्वास प्रस्ताव की मुहिम चला रहे नेताओं का दावा है कि उनके पास अविश्वास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए न्यूनतम 30 वोटों से चार वोट ज्यादा हैं। अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर राजेश उप्रेती को नए प्रमुख के रूप में पेश किए जाने की चर्चाएं चल रही हैं।
विधानसभा की चम्पावत सीट पर तीन महीने में दो बार चुनाव के बाद अब 40 बीडीसी सीट वाले चम्पावत ब्लॉक में प्रमुख को भी बदलने की चर्चा है। नवंबर 2019 में हुए इस चुनाव में निर्दलीय रेखा देवी ने भाजपा प्रत्याशी मुकेश महराना को चार वोटों से हराया था। उपचुनाव से पहले ब्लॉक प्रमुख भाजपा में शामिल हुईं थीं, लेकिन ढाई साल पहले इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को हराने में भाजपा के ही एक अन्य नेता का नाम चर्चा में था। तब पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपी को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था, लेकिन पिछले साल उस नेता की घर वापसी होने के बावजूद चम्पावत के दिग्गज नेताओं से दूरी की वजह से उन्हें भाजपा में पुराना रसूख नहीं मिल सका। इन हालात में उनके समर्थन से बनीं ब्लॉक प्रमुख के लिए अविश्वास प्रस्ताव का खतरा बढ़ गया है।
सूत्र बताते हैं कि कुछ बीडीसी सदस्यों के मोबाइल नंबर बंद हैं। उनके इस क्षेत्र में न होने से भी पालाबदल की चर्चा है। वहीं ब्लाक प्रमुख रेखा देवी का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के संबंध में उन्हें जानकारी नहीं है। अगर ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो उनके पास पर्याप्त सदस्यों का समर्थन है।
जिले में पहली बार पेश होगा अविश्वास प्रस्ताव
चम्पावत। सितंबर 1997 में जिला बने चम्पावत के किसी ब्लॉक के प्रमुख के खिलाफ कभी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया। यह पहला मौका होगा, जब इस तरह का प्रस्ताव लाया जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए दो-तिहाई यानी 40 सदस्यीय सदन में 30 सदस्यों का समर्थन चाहिए। नवंबर 2019 में हुए चुनाव में रेखा देवी को 21 और हारे प्रत्याशी को 17 वोट मिले थे। दो वोट अवैध हो गए थे।