दिल्ली मेयर चुनाव : भाजपा को झटका, सुप्रीम कोर्ट का आदेश 24 घंटे में जारी हो अधिसूचना, पहली बैठक में हो मेयर चुनाव
दिल्ली में मेयर चुनाव को लेकर चल रही तनातनी पर विराम लग गया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि निगम की पहली बैठक का नोटिस 24 घंटे के भीतर जारी हो। आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि निगम की पहली बैठक में मेयर का चुनाव होगा। मनोनीत सदस्यों को वोट देने की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा मेयर का चयन होने के बाद उनकी अध्यक्षता में उप-मेयर और स्थाई समिति के सदस्यों को चुनाव होगा। कोर्ट के इस आदेश को आम आदमी पार्टी अपनी जीत बता रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश जनतंत्र की जीत। सुप्रीम कोर्ट का बहुत बहुत शुक्रिया। ढाई महीने बाद अब दिल्ली को मेयर मिलेगा। ये साबित हो गया कि एलजी और बीजेपी मिलकर आये दिन दिल्ली में कैसे गैरकानूनी और असंवैधानिक आदेश पारित कर रहे हैं। मालूम हो कि आप नेता डॉ. शैली ओबेरॉय ने उपराज्यपाल द्वारा मेयर चुनाव में मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति देने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। आज सुप्रीम कोर्ट में आप की दोनों प्रमुख मांगें मान ली गईं। शीर्ष अदालत ने ओबेरॉय की याचिका पर आठ फरवरी को उपराज्यपाल कार्यालय, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की अस्थायी पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा और अन्य से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता के वकील की ओर से कहा गया कि मेयर, उप-मेयर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव एक साथ नहीं कराए जा सकते। शैली ने पूर्व में भी चुनाव में तेजी लाने के निर्देश के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था। छह फरवरी को चुनाव तय होने के बाद उन्होंने याचिका वापस ले ली थी। लेकिन, चुनाव टलने पर उन्होंने फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
दो माह बाद भी दिल्ली को नहीं मिल सका मेयर
मेयर के चुनाव पर अबकी बार कोर्ट का वार भारी पड़ा। चौथी बार मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव टल गया। पिछले साल सात दिसंबर को एमसीडी चुनाव के नतीजे आए थे, लेकिन दो महीने बाद भी अब तक दिल्ली को मेयर नहीं मिल सका है। एमसीडी के चुनाव चार दिसंबर को हुए थे। वोटों की गिनती सात दिसंबर को हुई थी। 250 वार्डों में से आम आदमी पार्टी को 134 में जीत मिली। भाजपा ने 104 वार्ड जीते, जबकि कांग्रेस को केवल नौ सीटें मिलीं। चुनाव परिणाम आने के महीने भर बाद छह जनवरी को मेयर चुनाव के लिए सदन की बैठक बुलाई गई। इस दिन मनोनीत पार्षदों को पहले शपथ दिलाने के पीठासीन अधिकारी के फैसले का आम आदमी पार्टी ने विरोध किया, सदन में हंगामा हुआ और पीठासीन अधिकारी ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
24 जनवरी को दोबारा बुलाई गई बैठक
एलजी के आदेश पर दोबारा 24 जनवरी को मेयर चुनाव के लिए सदन की बैठक बुलाई गई। इस दिन मनोनीत सदस्यों और पार्षदों की शपथ हो गई, लेकिन आप के एक पार्षद ने जैसे ही मंच पर चढ़कर निगम सचिव से बात करनी चाही, इसका भाजपा के पार्षदों ने जबरदस्त तरीके से विरोध किया। फिर से सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। आम आदमी पार्टी ने सदन में मीडिया के सामने हेड काउंट कर हाजिरी लगाई और बहुमत सिद्ध किया और सदन में ही धरना भी दिया। दूसरी तरफ भाजपा की मेयर पद की प्रत्याशी रेखा गुप्ता ने भी उनके साथ बदसलूकी किए जाने का आरोप लगाया और वह भी सदन के बाहर धरने पर बैठी रहीं।
छह फरवरी को फिर बुलाई गई बैठक
छह फरवरी को तीसरी बार मेयर चुनाव कराने के लिए सदन की बैठक बुलाई गई। पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव एक साथ कराने की घोषणा की। साथ ही मनोनीत पार्षदों के मेयर चुनाव में हिस्सा लेने की घोषणा की। इसका आप विधायक महेंद्र गोयल ने विरोध किया। दूसरी तरफ भाजपा पार्षद शिखा राय ने पीठासीन अधिकारी से कहा कि आप के दो विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी और संजीव झा को कोर्ट से सजा मिल चुकी है, यह दोनों सदस्य मेयर चुनाव में वोट देने के योग्य नहीं हैं। पीठासीन अधिकारी ने उनका समर्थन किया और आप के दोनों विधायकों काे सदन से बाहर जाने के लिए कह दिया। इसके बाद हंगामा बढ़ गया और पीठासीन अधिकारी ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
चौथी बार भी नहीं बनी बात
मेयर चुनाव के लिए 16 फरवरी को चौथी बार सदन की बैठक बुलाई गई थी। इस दिन अब चुनाव नहीं हो पाएगा। इसके लिए अब नई तारीख का इंतजार करना पड़ेगा। आम आदमी पार्टी ने ईस्ट पटेल नगर की पार्षद डॉ. शैली ओबरॉय को और भाजपा ने शालीमार बाग-बी वॉर्ड की पार्षद रेखा गुप्ता को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है।