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टनकपुर-जौलजीबी सड़क मामले में ठेकेदार दलीप अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका को जिला सत्र न्यायालय ने किया खारिज

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चम्पावत। टनकपुर-जौलजीबी यानी कि टीजे सड़क का निर्माण करा रहे एक ठेकेदार की अग्रिम जमानत (anticipatroy bail) जिला सत्र न्यायालय ने अर्जी खारिज कर दी है। अदालत ने 17 दिसंबर को ये आदेश दिया है। नेपाल सीमा से लगे टीजे सड़क के दूसरे पैकेज चूका से रूपालीगाड़ की निविदा के लिए कथित तौर पर फर्जी दस्तावेज के ठेकेदार पर लगे आरोपों के बाद वर्ष 2018 में टनकपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था।

ठेकेदार ने कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया था। आवेदक की ओर से आशंका जताई गई थी कि निचली अदालत आवेदक पर लगी धाराओं में भी संज्ञान ले सकती है तथा उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके मद्देनजर ये अग्रिम जमानत अर्जी अदालत में पेश की गई थी। जमानत अर्जी में आवेदक की ओर से दलील दी गई थी कि ट्रायल कोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा किया था और फरवरी 2020 में ट्रायल कोर्ट ने आरोपमुक्त भी कर दिया था। जिसके विरोध में राज्य द्वारा दायर की गई आपराधिक पुनरीक्षण के बाद आरोप की फिर से सुनवाई करने का जिला सत्र न्यायालय ने नवंबर 2023 को आदेश दिया गया। आरोपी और राज्य सरकार के बीच आर्बिटेशन की कार्रवाई में उनके (आवेदक) पक्ष में निर्णय हुआ था।

जिला सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल ने 17 दिसंबर को दिए आदेश में maintainable नहीं होने के कारण ठेकेदार दलीप सिंह अधिकारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। सरकारी पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता विद्याधर जोशी ने पैरवी की। टीजे रोड में चूका से रूपालीगाड़ तक 24.400 किमी रोड की 123 करोड़ रुपये में निविदा हुई थी। ये निविदा ठेकेदार दलीप सिंह अधिकारी के नाम खुली थी, लेकिन उन पर फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र के आरोप लगे थे। टनकपुर थाने में ठेकेदार के खिलाफ 2018 में मुकदमा दर्ज हुआ था। 13 फरवरी 2020 को CJM Court ने आरोपी ठेकेदार पर लगी IPC की धारा 467, 468 व 471 को निरस्त कर दिया। जबकि 19 फरवरी को IPC की धारा 420 के तहत भी पुलिस रिपोर्ट के साथ संलग्र दस्तावेजों को अपर्याप्त मानते हुए निरस्त कर दिया गया था। तत्कालीन जिला जज कहकशा खान ने नवंबर 2023 में ठेकेदार पर लगे आरोप की फिर से सुनवाई करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद फिर से इस मामले की सुनवाई चल रही है।