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दून पुलिस के शानदार प्रयास से 16 साल बाद मां को मिला ‘जिगर का टुकड़ा’, खुशी में छलके आंसू, दुलार कर ले गई घर

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देहरादून। दून पुलिस के शानदार प्रयास रंग लाए और करीब डेढ़ दशक से लापता बेटे को उसकी मां से मिलाया। जिगर का टुकड़ा पाकर मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसकी आंखों से आंसू छलक उठे। बाद में वह अपने बच्चे को दुलार करते हुए घर ले गई। बुजुर्ग मां की आंखों में पुलिस के प्रति आभार नजर आया। साथ ही पुलिस कर्मियों को आशीर्वाद भी दिया।

दून पुलिस ने 16 सालों से लापता बेटे को उसकी मां से मिलाकर मानवता का फर्ज निभाया है। 5 दिन पहले एक युवक द्वारा पुलिस कार्यालय में आकर लगभग 16 साल पहले 9 साल की आयु में एक व्यक्ति द्वारा उसका अपहरण कर राजस्थान में किसी अनजान जगह पर ले जाने की जानकारी दी गई थी। साथ ही अपने अपने परिजनों के संबंध में युवक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहा था। एएचटीयू की टीम द्वारा सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से युवक के संबंध में प्रसारित किया था।

बता दें कि 25 जून को एक व्यक्ति द्वारा पुलिस कार्यालय स्थित एएचटीयू के कार्यालय में आकर बताया कि उसे करीब 16 साल पहले जब उसकी आयु करीब 9 साल थी तो एक व्यक्ति द्वारा घर के पास से उठाकर राजस्थान में किसी अनजान जगह पर ले जाया गया। जहां उनके द्वारा उससे भेड़-बकरी चराने का कार्य करवाया जाता था। वर्तमान में किसी व्यक्ति की सहायता से वह देहरादून पहुंचा पर उसे अपने घर का पता और परिजनों के सम्बंध में कोई जानकारी याद नहीं है और न ही उसे अपने असली नाम याद है। उसे यह याद था कि उसके पिताजी की परचून की दुकान थी और घर पर उसकी माता सहित 4 बहनें थीं, लेकिन किसी का नाम याद नहीं था।

जिस पर पुलिस द्वारा व्यक्ति के रुकने और खाने की व्यवस्था करते हुए, सोशल मीडिया और पम्पलेट के माध्यम से व्यक्ति की जानकारी से जनपद के सभी थानों को बताते हुए अपने-अपने थाना क्षेत्रों में युवक के परिजनों की तलाश के निर्देश दिये गए। वहीं आम जनता से भी युवक के परिजनों को ढूंढने में सहयोग प्रदान करने की अपील भी की गई थी।एसएसपी अजय सिंह ने बताया है कि आज बंजारावाला निवासी एक महिला आशा शर्मा पत्नी कपिल देव शर्मा द्वारा समाचार पत्र में प्रकाशित खबर को पढ़कर एएचटीयू कार्यालय में आकर जानकारी दी कि उनका बेटा जिसका नाम मोनू था, साल 2008 में घर से गायब हो गया था।

जिसके उनके द्वारा उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य कई स्थानों पर काफी तलाश किया गया, लेकिन उसके संबंध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई। जिस पर युवक को महिला से मिलवाया गया, तो महिला द्वारा बताई गई बातों को याद करते हुए युवक द्वारा महिला की पहचान अपनी मां के रूप में की गई। साथ ही भावुक होकर अपनी मां को गले लगाया। 16 सालों बाद अपने खोये हुए बेटे को वापस पाकर महिला ने पुलिसवालों को आशीर्वाद दिया।

भावुक कर देगी युवक की कहानी, कैद में रखा गया, पिटाई भी होती थी, खाना भी नहीं दिया जाता था

युवक ने बताया कि वह करीब 15-16 साल पहले देहरादून से गायब हुआ था। उस वक्त उसकी उम्र नौ से 10 वर्ष के बीच थी। वह अपने साथियों के साथ खेलने निकला था तभी उसे कुछ लोग गाड़ी में बैठाकर ले गए। कई घंटों बाद जब उसकी आंख खुली तो एक वीरान सी जगह थी। वहां कुछेक कच्चे-पक्के मकान बने थे और भेड़ बकरियां बंधी थीं, जो लोग उसे ले गए थे वे उसके साथ मारपीट करते थे। कुछ दिनों बाद उसे भेड़-बकरी चराने का काम दिया गया। बाल बुद्धि के चलते उस वक्त उसने भागने की कोशिश तो की, लेकिन वीरान और दूर-दूर तक बंजर सी दिखाई देने वाली जमीन पर कोई राह नहीं दिखती थी।
कुछ बड़ा हुआ तो उसे बांधकर रखा जाने लगा। हर दिन केवल एक रोटी खाने के लिए दी जाती और मांगता तो पिटाई की जाती। उसके जबड़े की हड्डी भी एक बार तोड़ दी गई थी। इससे वह बेहद कमजोर हो गया। सालों तक यही सब चलता रहा। सात दिन पहले उसके अंधेरे जीवन में एक ट्रक चालक रोशनी बनकर आया। ट्रक चालक देहरादून से वहां बकरियां लेने गया था। मौका पाते ही युवक ने उसे अपनी कहानी बता दी। ड्राइवर ने भी चालाकी से काम लिया और जाते वक्त उसे अपने साथ ट्रक में छिपा लिया। वहां से उसे दिल्ली लेकर आया और ट्रेन में बैठाकर देहरादून पुलिस तक पहुंचने का रास्ता भी कागज पर लिखकर दे दिया। इस कागज को पढ़वाते हुए ही वह पुलिस तक पहुंचा। उसके हाथ पर राजू नाम लिखा है, लेकिन इसे भी पुराने नाम या किसी चिह्न को काटकर दोबारा गुदवाया गया है।