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नैनीताल में आग से अब तक लाखों की वन संपदा जलकर खाक, सीएम ने किया हवाई सर्वेक्षण, बैठक कर अफसरों को दिए दिशा निर्देश

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कुमाऊं में जंगलों की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। वन विभाग आग बुझाने में जुटा हुआ है लेकिन इसके बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा रहा है। नैनीताल में आग से वन संपदा को हुए नुकसान का सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हवाई सर्वेक्षण किया। सीएम धामी ने कहा कि जंगलों में आग लगाने वाले अराजक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के लिए हम निरंतर कार्य कर रहे हैं।

हल्द्वानी पहुंचे सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जंगलों में लगी आग की रोकथाम और पेयजल व्यवस्था को लेकर एफटीआई में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। सीएम धामी की समीक्षा बैठक में कुमाऊं कमिश्नर, वन विभाग के अधिकारी आदि उपस्थित हैं। साथ ही अल्मोड़ा, चम्पावत समेत अन्य जिलों के अधिकारी वर्चुअल जुड़े। बता दें कि कुमाऊं के जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने शनिवार से भीमताल झील से पानी भरकर जंगलों में पानी डालने का काम करना शुरू कर दिया है। शनिवार की सुबह वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने भीमताल झील से पानी भरकर नैनीताल के जंगलों में लगी आग पर डाला।

वन क्षेत्राधिकारी विजय मेलकानी ने बताया कि जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई है। मेलकनी ने बताया कि हेलीकॉप्टर ने अभी तक तीन बार झील से पानी भरकर जंगलों में लगी आग पर डालना शुरू कर दिया है। मेलकानी ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारी भी आग बुझाने में लगे हुए हैं। आग से भीमताल, पाइंस, रानीबाग, सातताल, बेतालघाट और रामगढ़ के जंगलों की वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचा है।

पिछले साल की तुलना में बढ़ीं वनाग्नि की घटनाएं, आने वाले दिन और चुनौतीपूर्ण होने की आशंका

उत्तराखंड के कुमाऊं के जंगलों में लगी आग थमने का नाम नहीं ले रही है। अगर पिछले साल के वनाग्नि की घटनाओं पर गौर करें तो अभी तक 245 से अधिक घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जोकि पिछले साल के आंकड़ों से 89 अधिक हैं। पारिस्थितिकी के बदलते हालात आने वाले समय में प्रचंड गर्मी का संकेत दे रहे हैं, क्योंकि अप्रैल माह से ही धरती तपने लगी है। जाहिर है, गर्मी की यह मार वनों को अभी और झुलसाएगी। इस बार मामला इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि पिछले वर्ष नवंबर से अप्रैल तक वनाग्नि की कुल 156 घटनाएं घटीं और इस बार अभी अप्रैल खत्म नहीं हुआ और 245 से अधिक घटनाएं सामने आ चुकी हैं। मई में तापमान में और बढ़ोतरी होगी। जिससे वनों की मिट्टी की नमी घटेगी और सतही तापक्रम बढ़ने से सतह आग को भड़काने में मददगार साबित होगा। इसलिए आने वाले समय में ऐसी और भी घटनाएं सामने आ सकती हैं।

इंसान भी जंगलों की आग के जिम्मेदार
जानकार जंगलों के ज्यादा सुलगने की वजह तापमान में वृद्धि और खरपतवार जलाना को मान रहे हैं। उनका कहना है कि तमाम क्षेत्रों में सिविल क्षेत्र से आरक्षित वन क्षेत्र में आग पहुंच रही है। जंगलों में आग की एक अन्य वजह शहद के लिए जंगलों में जाकर मधुमक्खी का छत्ता काटना है।
जरा सी चूक में जल उठ रहे जंगल
बताया जाता है कि जंगलों से लगे आसपास के गांवों के लोग जंगलों में जाकर मधुमक्खी का छत्ता काटते हैं। इसके लिए आग जलाकर छत्ते पर धुआं लगाया जाता है। छत्ता काटने के लिए जलाई गई आग जंगल में छोड़ने से जंगल में आग भड़क जाती है।

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