चम्पावत : टीबी संक्रमित मिलने के बाद आईसीयू का फ्यूमिगेशन शुरू

चम्पावत। जिला अस्पताल के आईसीयू में फ्यूमिगेशन का काम शुरू हो गया है। चार दिन पहले अस्पताल में दमा का एक मरीज भर्ती था। उसकी जांच में टीबी की पुष्टि हुई। ऐसे में टीबी संक्रमण के खतरे को देखते हुए आईसीयू को पूरी तरह से फ्यूमिगेट करने का निर्णय लिया गया है।
मालूम हो कि जिला अस्पताल में 15 अक्तूबर को दमा का एक मरीज आईसीयू में भर्ती किया गया था। उसकी स्थिति गंभीर होने पर उसके बलगम की जांच कराई गई। 16 अक्तूबर को जांच रिपोर्ट आई, जिसमें मरीज को टीबी होने की पुष्टि हुई। आईसीयू में पूर्व से दमा के चार मरीज भर्ती थे। ऐसे में टीबी संक्रमण की आशंका को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने फ्यूमिगेशन का निर्णय लिया।

फिजिशियन डॉ. दीपक रावत ने बताया कि भर्ती दमा के चार मरीजों में से तीन को पूरी तरह ठीक होने के बाद घर भेज दिया गया है। चौथे गंभीर मरीज को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि संक्रमित मरीज को हल्द्वानी रेफर किया गया है। पीएमएस डॉ. एचएस ह्यांकी ने बताया कि संक्रमित टीबी मरीज के मिलने के बाद दो दिन तक आईसीयू को फ्यूमिगेट किया जाएगा। इस दौरान आईसीयू में मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा। रविवार से फ्यूमिगेशन शुरू कर दिया गया है।
…क्या है फ्यूमिगेशन
पीएमएस डॉ. एचएस ह्यांकी ने बताया कि फ्यूमिगेशन एक प्रक्रिया है। जिसमें किसी क्षेत्र या वस्तु से कीट, कवक, बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए एक बंद स्थान में जहरीली गैस (फ्यूमिगेंट) का उपयोग किया जाता है। यह एक कीटाणुशोधन या कीट नियंत्रण विधि है, जिसका उपयोग कृषि में अनाज की सुरक्षा, अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर को कीटाणुरहित करने या निर्यात/आयात के लिए वस्तुओं को संसाधित (PROCESSED) करने के लिए किया जाता है। इसके बाद कमरे में हवा का प्रवाह सुनिश्चित किया जाता है ताकि विषैली गैसें बाहर निकल जाएं और कमरा मानव के लिए सुरक्षित हो जाए।