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खतरे में गौलापार स्टेडियम: नदी से लगे 250 मीटर के हिस्से में भू-धंसाव, सड़क का चार मीटर हिस्सा गौला में समाया

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हल्द्वानी। गौलापार स्टेडियम फिर खतरे की जद में आ गया है। बृहस्पतिवार रात हुई बारिश के चलते नदी से लगे 250 मीटर के हिस्से में भू-धसाव हो रहा है। गेट नंबर दो को जोड़ने वाली सड़क और ड्रेनेज का चार मीटर हिस्सा नदी में समा चुका है। पश्चिमी छोर की पार्किंग के छह मीटर के दायरे में दरारें भी आ गई हैं। शुक्रवार शाम को बारिश का सिलसिला फिर शुरु होने से स्टेडियम को और अधिक नुकसान होने की आशंका बनी है।

बीते दो साल में गौला नदी स्टेडियम की 2.4 हेक्टेयर जमीन को निगल चुकी है। 12 सितंबर को गौला नदी का जलस्तर बढ़ने पर स्टेडियम के किनारे के 400 मीटर के हिस्से को भारी नुकसान हुआ था। एप्रोच रोड और पार्किंग का बड़ा हिस्सा नदी में समा गया था। नदी की सुरक्षा के लिए बने तटबंध भी बह गए थे। अभी तक स्टेडियम की सुरक्षा के लिए कोई कार्य नहीं किए गए हैं।

सिंचाई विभाग नदी का जलस्तर कम होने का इंतजार कर रहा है। वहीं बरसात ने एक बार फिर खेल विभाग की भूमि को नुकसान पहुंचाना शुरु कर दिया है। गौलापार स्टेडियम को रोशन करने के लिए लगी हाईमास्क और ग्राउंड लाइटें भी खतरें की जद में है। एक ग्राउंड लाइट किसी भी वक्त गौला नदी में समा सकती है। नदी से स्टेडियम की दूरी मात्र 15 मीटर रह गई है। यदि गौला नदी का जलस्तर एक बार फिर बढ़ा तो करोड़ों की लागत से बना स्टेडियम भी नदी की जद में आ सकता है।

सुरक्षा दीवार बनाने का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में
स्टेडियम की सुरक्षा दीवार बनाने के लिए शासन को पेश किया गया प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में है। सिंचाई विभाग की ओर से तैयार किए गए 20 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को पूर्व में टीएसी की स्वीकृति मिली थी, लेकिन इस प्रस्ताव के तहत गौलापार स्टेडियम की जमीन रिकवर होना मुमकिन नहीं है। इसे देखते हुए 65 करोड़ रुपये की लागत से नया प्रस्ताव पेश किया गया था, लेकिन इस प्रस्ताव की लागत अधिक होने के कारण इस पर फिर से पुनर्विचार किया जाना है। खेल विभाग, सिंचाई विभाग और वित्त विभाग की ओर से प्रस्ताव को मंथन किया जा रहा है।

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