उत्तर प्रदेशराजनीति

यूपी की रामपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में घनश्याम लोधी होंगे भाजपा के उम्मीदवार

ख़बर शेयर करें -




घनश्याम लोधी
घनश्याम लोधी

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों का एलान कर दिया है। आजमगढ़ से भोजपुरी अभिनेता और गायक दिनेश लाल यादव निरहुआ पर पार्टी ने फिर से भरोसा जताया है। रामपुर से घनश्याम लोधी उम्मीदवार होंगे। पहले अटकलें थीं कि भाजपा केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को यहां से उतार सकती है। मुख्तार अब्बास नकवी 1998 में यहां से भाजपा के सांसद रह चुके हैं। हालांकि एक साल बाद ही यानी 1999 में फिर से चुनाव हुए थे, तब कांग्रेस की बेगम नूर बानो ने जीत हासिल की। इसके बाद 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी की जयाप्रदा, 2014 में भाजपा के डॉ. नैपाल सिंह और फिर 2019 में सपा के मोहम्मद आजम खां सांसद चुने गए।




भाजपा उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी कौन हैं?
घनश्याम लोधी रामपुर के लिए कोई नया नाम नहीं है। घनश्याम लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी राजनीति भी भारतीय जनता पार्टी से ही शुरू हुई थी। तब वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह के काफी करीबी थे। वह भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे। 1999 में वह भाजपा छोड़कर बसपा में शामिल हो गए और लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। तब घनश्याम तीसरे नंबर पर रहे। जब कल्याण सिंह ने भाजपा छोड़कर राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई तो घनश्याम लोधी भी इसमें शामिल हो गए। 2004 में घनश्याम लोधी को इसका इनाम मिला। राष्ट्रीय क्रांति पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके घनश्याम को बरेली-रामपुर एमएलसी सीट से अपना प्रत्याशी बनाया। वह जीत भी गए।




फिर बसपा का दामन थाम लिया
2009 लोकसभा चुनाव के दौरान घनश्याम लोधी ने फिर से बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। बसपा ने उन्हें रामपुर से अपना उम्मीदवार भी बनाया, लेकिन वह जीत नहीं पाए। तब समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी और अभिनेत्री जयाप्रदा ने जीत हासिल की थी। दूसरे नंबर पर कांग्रेस की बेगम नूर बानो और तीसरे पर घनश्याम लोधी थे। चौथे नंबर पर भाजपा की तरफ से मुख्तार अब्बास नकवी रहे। चुनाव में मिली हार के बाद 2011 में घनश्याम वापस समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।

आजम खां के करीबी, चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए
रामपुर में घनश्याम लोधी ने समाजवादी पार्टी के पक्ष में खूब माहौल बनाया। 2012 में उन्होंने खूब मेहनत की। इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव और फिर 2019 लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने सपा के लिए प्रचार किया। घनश्याम को आजम खां का काफी करीबी माना जाता था। हालांकि, 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लोधी ने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली।

घनश्याम लोधी के उतरने से कैसे बदलेंगे रामपुर के समीकरण?
लोधी पूर्व सांसद आजम खां के करीबी रहे हैं। लंबे समय से रामपुर में एक्टिव रहे हैं। माना जा रहा है कि सपा का जो भी उम्मीदवार होगा वह आजम खां से ही जुड़ा होगा। ऐसे में घनश्याम उसके लिए बड़ी चुनौती हो सकते हैं। रामपुर और आसपास लोधी वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। घनश्याम लोधी समाज को भाजपा से जोड़ने का काम कर सकते हैं। भाजपा को उम्मीद होगी कि घनश्याम की वजह से जो सपा से जुड़े लोधी वोटर भी भाजपा को वोट करेंगे।

रामपुर सीट पर इसलिए हो रहा उपचुनाव
रामपुर लोकसभा सीट से 2019 में समाजवादी पार्टी के दिग्गज मुस्लिम नेता आजम खां सांसद चुने गए थे। आजम इस बार विधानसभा चुनाव भी लड़े थे और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसी के चलते यहां उपचुनाव होने जा रहे हैं।