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गोल्ड मेडल जीत नीरज चोपड़ा ने बदला ओलंपिक का इतिहास, ओलंपिक से सोना लाने वाले भाला फेंक खिलाड़ी के बारे में जानें सबकुछ

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फोटो साभार सोशल मीडिया

भारतीय भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने शनिवार को टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया। उन्होंने भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 121 साल का इंतजार खत्म कर दिया। बता दें कि वर्ष 1900 में हुए पेरिस ओलंपिक में भारत की की तरफ से नॉर्मन प्रिटचार्ड ने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते थे, लेकिन वे भारतीय नहीं बल्कि भारत में जन्मे अंग्रेज थे। तब से लेकर रियो 2016 तक भारत का कोई एथलीट पदक नहीं जीत पाया था। दिग्गज मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा क्रमश 1960 और 1984 में मामूली अंतर से चूक गए थे। नीरज ओलंपिक में ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतने वाले देश के पहले और व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था। नीरज ने पहले प्रयास में 87.03 मीटर भाला फेंका था और वह शुरू से ही पहले स्थान पर चल रहे थे। वहीं, दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंका। यहीं उनका गोल्ड मेडल पक्का हो गया था। तीसरे प्रयास में वह 76.79 मीटर भाला ही फेंक पाए जबकि चौथे प्रयास में फाउल कर गए। उन्होंने छठे प्रयास में 84.24 मीटर भाला फेंका। मगर इससे पहले उनका गोल्ड मेडल पक्का हो गया था।

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फोटो साभार सोशल मीडिया


नीरज ने अपने पहले ही प्रयास में शानदार थ्रो किया और 86.65 मीटर दूर भाला फेंका। इसके साथ ही वह फाइनल के लिए क्वालीफाई कर गए। फाइनल में सीधे प्रवेश करने के लिए 83.50 मीटर का थ्रो होना जरूरी है। नीरज का व्यक्तिगत बेस्ट 88.06 मीटर है। इस थ्रो के साथ उन्होंने 2018 एशियन गेम्स का स्वर्ण पदक जीता था।

फोटो साभार सोशल मीडिया

87.86 मीटर भाला फेंक कर टोक्यो ओलंपिक के लिए किया था क्वालीफाई
— दाईं कोहनी की चोट से उबरने के बाद ही नीरज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। चोट की वजह से नीरज कई महीने खेल से दूर रहे, लेकिन चोट से उबरने के बाद दमदार वापसी की। दक्षिण अफ्रीका में आयोजित एथलेटिक्स सेंट्रल नार्थ ईस्ट मीट में 87.86 मीटर भाला फेंक कर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। इससे पहले कोहनी में चोट की वजह से छह महीने उनका अभ्यास नहीं हो सका था।

फोटो साभार सोशल मीडिया

88.07 मीटर का थ्रो कर बनाया राष्ट्रीय रिकॉर्ड
— कोरोना के कारण करीब एक साल से ज्यादा की अवधि से प्रतिस्पर्धाओं से चोपड़ा दूर रहे, लेकिन मार्च में वापसी करते ही उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 88.07 मीटर का थ्रो करके नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना दिया था। नीरज ने अपने ही पिछले नेशनल रिकॉर्ड को एक सेंटीमीटर से तोड़ दिया। उस समय जब नीरज से इस बारे में पूछा गया तो नीरज चोपड़ा ने कहा कि कोरोना महामारी ने ट्रेनिंग की तैयारियों को काफी प्रभावित किया, लेकिन उन्होंने अपनी ट्रेनिंग को प्रभावित नहीं होने दिया। मेहनत से तैयारी की।   
वजन कम करने के लिए एथलेटिक्स ज्वाइन की थी

फोटो साभार सोशल मीडिया

2016 में सेना में भर्ती हुए नीरज
— 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत में जन्मे नीरज किसान परिवार से आते हैं। चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने वजन कम करने के लिए एथलेटिक्स ज्वाइन की थी। अपने शरीर को मजबूत बनाने के लिए वो जिम जाते थे। जिम के बगल में ही स्टेडियम था। टहलते हुए अक्सर स्टेडियम पहुंच जाने वाले नीरज ने खेल-खेल में ही भाला उठाकर फेंका जो काफी दूर जा गिरा। वहीं मौजूद गुरु द्रोण समान एक कोच का आभार जो उन्होंने भविष्य के इस स्वर्ण पदक विजेता को पहचान लिया। नीरज को आगे इसी का प्रशिक्षण लेने की सलाह दी। फिर तो बस जैसे नीरज पर जुनून सवार हो गया। 2016 में ही वो जूनियर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके थे, बस रियो जाने से चूक गए। 2018 में उन्होंने एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। साल 2016 में उन्होंने भारतीय सेना में भर्ती हुए। इसके बाद उनके प्रदर्शन में निरंतरता आई है। इससे पहले नीरज के पास तैयारी के लिए पूरे उपकरण नहीं होते थे, लेकिन भारतीय सेना में सूबेदार होने के बाद उनकी तैयारी और भी अच्छी हो गई। 2016 में ही विश्व एथलेटिक्स अंडर-20 में उन्होंने पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद नीरज ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। लगातार एक के बाद एक रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करते गए। बता दें कि अपनी थ्रोइंग स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए नीरज ने जर्मनी के बायो मैकेनिक्स एक्सपर्ट क्लाउस बार्तोनित्ज से ट्रेनिंग ली है। 

अब तक की उपलब्धि
नीरज ने इससे पहले एशियन गेम्स 2018 जकार्ता स्वर्ण पदक, कॉमनवेल्थ गेम 2018 गोल्ड कोस्ट स्वर्ण पदक, एशियन चैंपियनशिप 2017 भुवनेश्वर स्वर्ण पदक, दक्षिण एशियाई खेल गुवाहाटी 2016 स्वर्ण पदक, वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप 2016 गोल्ड मेडल, एशियन जूनियर चैंपियनशिप 2016 रजत पदक जीत चुके हैं।

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