जनपद चम्पावत

चम्पावत के ऐतिहासिक बिरखमों को तोली गड़कोट पहुंचाया, पुलिस को सौंपी गई तहरीर

Ad
ख़बर शेयर करें -

चम्पावत। चंद राजवंश के काल के आठ बिरखमों (पत्थर से बने ऐतिहासिक खंभे) को चम्पावत के हिंग्लादेवी मंदिर के पास से उठाकर तोली गड़कोट ले जाया गया। मामले की भनक लगने पर सामाजिक कार्यकर्ता ने कोतवाली में दो लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। कहा कि इन बिरखमों के हटाने से ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान हो रहा है। कोतवाल शांति कुमार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता श्याम नारायण पांडेय ने थाने में तहरीर दी। इसमें दो लोगों पर इन बिरखमों को तोली गड़कोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। कहा कि हिंग्लादेवी मंदिर के नजदीक चंदकालीन एतिहासिक धरोहर बिरखम थी। 18 सितंबर को इनमें से आठ बिरखम को दो लोगों ने टैक्सी के जरिये यहां से तोली गड़कोट पहुंचा दिया। पांडेय ने आरोप लगाया कि एतिहासिक महत्व के स्थल को नुकसान पहुंचाने से प्रबुद्ध समाज और आम नागरिकों की भावनाएं आहत हुई है। तहरीर में इन बिरखमों को वापस लाने की कार्रवाई करने की पुलिस से मांग की गई है।

Ad

बिरखम के सहारे बनाए जाते थे भवन
चम्पावत। चंद कालीन ये बिरखम एक प्रकार से खंभे के आकार के हैं। इनकी लंबाई करीब छह से सात फीट है, जबकि चौड़ाई एक से सवा फीट। 12 खंभों के सहारे मकान का निर्माण किया जाता था। इतिहास के जानकार देवेंद्र ओली का कहना है कि इन्हें स्थानीय वीर स्तंभ माना जाता है। इन बिरखमों का निर्माण लंबे यात्रा मार्गों में किया जाता था। जिले में विभिन्न स्थानों पर 12 (हिंग्लादेवी मंदिर मार्ग, क्रांतेश्वर मार्ग में फूलगढ़ी, गोलज्यू देवता मंदिर परिसर, रेगड़ू, चिलकोट, कलकोट, सेरा, सिप्टी, बिरगुल, धौनी शिलिंग, क्वैराला घाटी के चानपुर) बिरखम हैं। इन बिरखमों में देवी-देवताओं की आकृतियों के अलावा शेर, हाथी जैसे पशुओं की मूर्तियां भी उकेरी हैं।

तोली गड़कोट की मढ़य्या के उपयोग में आ रहे बिरखम
चम्पावत। पुरातत्व विभाग के लिए काम करने वाले ठेकेदार केशव दत्त ने एतिहासिक बिरखमों को बर्बाद करने के आरोपों को नकारा है। कहा कि चंपावत से ये छह बिरखम पुरातत्व विभाग की अनुमति से तोली गड़कोट के निर्माण के लिए ले जाए गए हैं।
तोली गड़कोट में भी बिरखम से निर्मित मढ़य्या (विश्रामस्थल) था। इस क्षतिग्रस्त मढ़य्या की मरम्मत के लिए ये बिरखम ले जाए गए हैं। चंपावत में भी बचे दो बिरखमों के अलावा शेष पत्थरों को राजस्थान से मंगा कर ऐसी ही मढ़य्या बनाई जानी है।

Ad