उत्तराखंड में ग्राम पंचायतों को मिलेगा टैक्स लगाने का कानूनी अधिकार, सतपाल महराज ने कहा- पंचायतों को मिलेगी मजबूती
प्रदेश की ग्राम पंचायतों को नये कर लगाने का वैधानिक अधिकार मिलने जा रहा है। इसके लिए पंचायती राज विभाग, शहरी निकायों की तर्ज पर कर नियमावली बना रहा है। नियमावली में ग्राम पंचायतों के क्षेत्र में संचालित होने वाली व्यावसायिक गतिविधियों पर कर का प्रावधान किया जा रहा है।
त्रिस्तरीय पंचायतों में सबसे निचली इकाई ग्राम पंचायतों को हालांकि यूपी के समय से कर वसलूने का अधिकार हासिल है। पर इस संबंध में विधिवत नियमावली नहीं होने और कर की दरें भी तय न होने से पंचायतें, इस प्रावधान का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। इधर, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी हैं। साथ ही पंचायतों में भी अपने अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इस कारण प्रदेश सरकार ग्राम पंचायतों के लिए टैक्स नियमावली बना रही है। इसके अंतर्गत टैक्स के दायरे में आने वाली गतिविधियों के साथ ही टैक्स की दरें तय की जा सकती हैं।
पंचायतों को मजबूत बनाने के लिए निदेशक पंचायती राज की अध्यक्षता में गठित कमेटी इस प्रस्ताव को लेकर कई दौर की बैठक कर चुकी है। कमेटी जल्द शासन को रिपोर्ट सौंप सकती है। सूत्रों के अनुसार, कमेटी मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित होने वाले होटल-रिजॉर्ट समेत अन्य पर्यटन इकाइयों के साथ ही शराब की दुकानों, खनन से जुड़े कार्यों को टैक्स के दायरे में रख सकती है। इसके लिए सार्वजनिक संसाधनों के इस्तेमाल को आधार बनाया जा सकता है।
पंचायती राज मंत्री सतपाल महाराज की पहल पर गठित कमेटी जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के प्रत्यक्ष निर्वाचन पर भी विचार कर रही है। अब तक की बैठकों में कमेटी इस पर सहमत है। हालांकि इसके लिए प्रस्ताव भारत सरकार के पास भेजना होगा। मंत्री सतपाल महाराज पूर्व में अप्रत्यक्ष चुनाव पर लगने वाले खरीद फरोख्त के आरोपों को देखते हुए प्रत्यक्ष निर्वाचन की पैरवी कर चुके हैं। इसके साथ ही पंचायतों के अधीन विभागों को सौंपने का प्रस्ताव पर भी कमेटी विचार कर रही है।
बिना ट्रेनिंग के शुल्क नहीं ले पा रहीं बीएमसी
जैव विविधता अधिनियम 2002 में प्रावधान है कि हर ग्राम सभा और स्थानीय निकाय में जैव विविधता प्रबंधन समिति (बीएमसी) का गठन किया जाएगा। बीएमसी को अपने क्षेत्राधिकार में व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए जैव विविधता का इस्तेमाल करने वाली इकाइयों से शुल्क लेने का अधिकार है। जैव विविधता बोर्ड सभी पंचायतों में बीएमसी का गठन तो कर चुका है, पर इन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया गया। इस कारण कुछ ही पंचायतें अपने अधिकार का प्रयोग कर रही हैं। एनजीटी पूर्व में मार्च 2020 तक सभी पंचायतों और निकायों में बीएमसी का गठन अनिवार्य तौर पर करने का आदेश दे चुका है। एनजीटी ऐसा न करने पर सरकार को जुर्माने के लिए भी चेता चुकी है। लेकिन बीते दो साल में कोरोना केचलते इस दिशा में कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। पंचायती राज मंत्री सतपाल महराज ने कहा कि, त्रिस्तरीय पंचायतों को मजबूत करना जरूरी है। इसके लिए पंचायतों के अधिकार भी बढ़ाए जाने की जरूरत है। पंचायत प्रतिनिधियों की मांग पर विचार करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी ने काम शुरू कर दिया है। कमेटी की रिपोर्ट पर अमल किया जाएगा।
