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भारतीय मूल अजय बंगा का विश्व बैंक का मुखिया बनना तय! जानें हर बार अमेरिकी ही क्यों चुना जाता है अध्यक्ष

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भारतीय मूल के अमेरिकी कारोबारी व मास्टर कार्ड के पूर्व प्रमुख अजय बंगा को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने विश्व बैंक का नया अध्यक्ष बनाने के लिए नामित किया है। इस पद के लिए उनका चुनाव महज औपचारिकता होगी क्योंकि अध्यक्ष पद पारंपरिक रूप से अमेरिका के पास ही रहा है। विश्व बैंक के अब तक के सभी 13 अध्यक्ष अमेरिकी नागरिक रहे हैं। एकमात्र अपवाद बल्गेरियाई नागरिक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा हैं, जिन्होंने 2019 में विश्व बैंक के कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। संयुक्त राज्य अमेरिका और विश्व बैंक की अध्यक्षता के बीच यह संबंध कोई इत्तेफाक नहीं है। अगर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स बंगा के नॉमिनेशन को मंजूरी दे देता है, तो वह वर्ल्ड बैंक के चीफ बनने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति बन जाएंगे। वर्तमान में बंगा दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट इक्विटी फर्मों में से एक जनरल अटलांटिक के वाइस-चेयरमैन हैं।


मालूम हो कि अमेरिका बैंक में सबसे बड़ा शेयरधारक है। उसके पास विश्व बैंक में सबसे अधिक 16.35 प्रतिशत हिस्सेदारी है और 15 प्रतिशत से अधिक वोट हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका बैंक की संरचना में कुछ बदलावों पर वीटो पावर वाला एकमात्र देश भी है।
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की एक रिपोर्ट में विश्व बैंक पर अमेरिका के प्रभुत्व के बारे में बताते हुए कहा गया है कि अमेरिका ने इस नियुक्ति का इस्तेमाल दुनिया भर में अमेरिकी आर्थिक हितों, शक्ति और विकास प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने के लिए किया है। वास्तव में अमेरिका को 2011 तक राष्ट्रपति पद के लिए कोई चुनौती नहीं मिली। उसके बाद “पारदर्शी, योग्यता-आधारित प्रक्रिया (Transparent, Merit-Based Process)” के लिए विश्व बैंक की प्रणाली में बदलाव किया गया।

विश्व बैंक की स्थापना काल से ही शुरू हो गया अमेरिकी प्रभुत्व का दौर
विश्व बैंक की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमेरिका की उस पर प्रभुत्व का एक और कारण है। द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में विश्व बैंक की स्थापना की गई थी। उस दौरान यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो गई थीं, लेकिन अमेरिका एक आर्थिक पावरहाउस के रूप में उभरा था। उस समय वाशिंगटन डीसी ने विश्व बैंक के सबसे अधिक शेयर खरीदे। अमेरिका ने 35.07 प्रतिशत मतदान अधिकारों पर नियंत्रण कर लिया और बैंक में भारी निवेश किया। अपने शुरुआती वर्षों में विश्व बैंक ने पश्चिमी यूरोप के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया। अमेरिका जो युद्ध की त्रासदी से काफी हद तक बच गया था, नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाने की स्थिति में था। दूसरी ओर एक अनौपचारिक समझौते के अनुसार, यूरोपीय लोगों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का नेतृत्व करना चुना। उसे भी विश्व बैंक के साथ ही स्थापित किया गया था। IMF के सभी प्रबंध निदेशक यूरोपीय रहे हैं।

कैसे चुना जाता है विश्व बैंक का अध्यक्ष?

विश्व बैंक में मतदान की भारित प्रणाली के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं। सभी सदस्य राष्ट्रों को शेयर वोट (सदस्य राष्ट्र की ओर से आयोजित बैंक के पूंजी स्टॉक के प्रत्येक हिस्से के लिए एक वोट) और बुनियादी वोटों से युक्त वोट प्राप्त होते हैं। बैंक के अनुसार, “मूल वोट उन वोटों की संख्या होगी जो सभी सदस्यों के बीच समान वितरण से उत्पन्न होते हैं, यह सदस्यों की मतदान शक्ति के कुल योग का 5.55 प्रतिशत है। अध्यक्ष का चुनाव कार्यकारी निदेशक मंडल की ओर से किया जाता है। कुल मिलाकर 25 कार्यकारी निदेशक हैं इनमें पांच नामांकित और 20 निर्वाचित होते हैं।
नामांकन प्रक्रिया 23 फरवरी को सुबह 9 बजे पूर्वी मानक समय (ईएसटी) पर शुरू हुई और बुधवार, 29 मार्च को शाम 6 बजे ईएसटी पर समाप्त होगी। नामांकन कार्यकारी निदेशकों, या कार्यकारी निदेशक के माध्यम से गवर्नरों की ओर से किया जाता है। एक देश का वित्त मंत्री या केंद्रीय बैंक का प्रमुख विश्व बैंक में एक गवर्नर होता है। कार्यकारी निदेशक गवर्नर की ओर से दिन-प्रतिदिन के मामलों का प्रबंधन करता है। कार्यकारी निदेशक बाद में तीन नामों को शॉर्टलिस्ट करेंगे और औपचारिक रूप से उनका साक्षात्कार लेंगे। बोर्ड की पुष्टि के बाद अजय बंगा के विश्व बैंक का अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी नियुक्ति मई 2023 की शुरुआत में होने की संभावना है।