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चम्पावत में संयुक्त काव्य संग्रह ‘हिम तरंगिणी’ का हुआ विमोचन

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चम्पावत। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच के कवियों के साझा काव्य संकलन ‘हिम तरंगिणी’ का विमोचन किया गया। रविवार को एंग्लो संस्कृत विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मंच के संरक्षक बंधीधर फुलारा रहे। उन्होंने ‘हिम तरंगिणी’ का विमोचन किया। इस मौके पर बताया गया कि मंच द्वारा इससे पूर्व साझा काव्य संग्रह ‘हिमगिरी की निर्झरिणी’ का विमोचन किया जा चुका है। बताया गया कि साझा काव्य संग्रह ‘हिम तरंगिणी’ कुमाऊंनी, हिंदी, संस्कृत व नेपाली के प्रथम कवि गुमानी पंत को समर्पित किया गया है। इस साझा काव्य संकलन में 31 कवियों की रचनाएं संकलित हैं। बताया कि यह काव्य संकलन का प्रकाशन हिंदी उर्दू के चुनिंदा कवियों में शुमार डॉ.कृष्ण कुमार ‘बेदिल’ के प्रयास से संभव हो सका है। वे मंच से जुड़े हुए हैं। मुख्य अतिथि ने काव्य संग्रह का विमोचन करते हुए कहा ​कि साहित्य/काव्य रचना काफी जटिल कार्य है। परिश्रम व अध्ययन से ही ये संभव है। उन्होंने कवियों से आह्वान किया कि वे समसामायिक रचनाएं लिख कर समाज का सम्यक दिशा निर्देशन व मार्गदर्शन करें।
काव्य संग्रह के विमोचन के बाद काव्य पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ.बीसी जोशी ने कहा ‘लड़कपन की अमीरी को, लागी जाने किसकी नजर’, हिमांशु जोशी ने कहा ‘गांवों में एक अनसुना सा शोर हो रहा है’, सतीश चंद्र पांडेय ने कहा ‘पेड़ पौधों को लगाएं, जंगलों को बचाएं हम’, दीपा पांडेय ने कहा ‘करुण वेदना का आहत स्वर, पहुंचा जब मां के हिय द्वार’, डॉ.सुमन पांडेय ने कहा ‘बुरांश हां उगते हैं, हिमालय की कोख में, सोनिया आर्य ने कहा ‘ये सांझ का दीया! गवाह है मेरे अस्तित्व का’, कमला वेदी ने कहा ‘बसंत से पतझड़ तक छुपा है, जीव जगत का रोदन और हास’, राम प्रसाद आर्य ने कहा ‘तेर तारिक चुनाव भौ, आज बोटों कि गितनी भैछ’, नवीन चंद्र पंत ने कहा ‘नव चेतन नव प्राण जगाने आये हैं, नव स्फूर्ति नव दीप जलाने आए हैं’, ललित मोहन ने कहा ‘कोछ कोछ सिपाही पानी का पन्यार मा, रात भौत यो है गै पूस की अंधेरी मां’।

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