चम्पावत में संपन्न हुई पोक्सो अधिनियम की कुमाऊं मंडल स्तरीय कार्यशाला, बच्चों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर जताई चिंता, कहा- रोकथाम के लिए सभी का जागरूक होना जरूरी
चम्पावत। जिला मुख्यालय में गोरल चौड़ मैदान के समीप स्थित ऑडिटोरियम में कुमाऊं मंडल के छह जिलों की पोक्सो अधिनियम से संबंधित विभिन्न विभागीय अधिकारियों एवं हितग्राहियों की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के तत्वावधान में किया गया। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय एवं कार्यकारी अध्यक्ष राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग विनोद कपरवान ने दीप प्रज्वलित कर किया। जीजीआईसी की छात्राओं ने गीत प्रस्तुत कर अतिथियों का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि ज्योति राय ने कहा कि बच्चों पर ही देश के भविष्य का निर्धारण होता है, लेकिन बच्चों के साथ उत्पीड़न के कई मामले प्रकाश में आ रहे हैं। जिसके रोकथाम के लिए सभी को जागरूक होना होगा और अन्य को भी जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि इस समस्या के त्वरित निस्तारण हेतु बाल अधिकार संरक्षण आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। उन्होंने कहा कि बच्चों के यौन उत्पीड़न में तभी अंकुश लगाया जा सकता जब सभी अपनी जिम्मेदारी को लेते हुए बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक एवं सचेत करें।
आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष विनोद कपरवान ने कहा कि बच्चों के अधिकारों के संरक्षण तथा उनके सर्वांगीण विकास के लिए उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदैव समर्पित एवम सचेत होकर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि आयोग बाल अधिकारों पर ध्यान केंद्रित कर विशेष लैंगिक शोषण की घटनाओं पर लगाम लगाने तथा दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इसके क्रियान्वयन हेतु पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, विधि एवम न्याय पालिका आदि विभिन्न विभागों की अहम भूमिका रहती है। मुख्य विकास अधिकारी राजेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण एवम संवर्धन हेतु बच्चों को उनके अधिकारों में बारे में जागरूक करना होगा। क्योंकि आज बच्चों का यौन शोषण एक सामुदायिक चिंता का विषय हो गया है।
तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों द्वारा अपने-अपने विषय पर प्रेजेंटेशन दिया गया। विशेषज्ञों में स्वास्थ्य विभाग के डॉ. चंद्रप्रकाश, एनएलपी फॉर्गिवनेस संस्था के डॉ. पवन शर्मा, अभियोजन के तनुजा वर्मा तथा डीएलएसए के द्वारिका शर्मा द्वारा अपना प्रस्तुतिकरण दिया गया।
कार्यशाला में विशेषज्ञों ने बताया कि इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के अंतर्गत अलग.अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है। पॉक्सो कोर्ट खास तरीके के कोर्ट होते हैं, जहां पॉक्सो एक्ट के तरह दर्ज किए गए केस ही शामिल किए जाते हैं। 18 साल से कम उम्र के बच्चों पर होने वाले यौन शोषण अपराधों के लिए तैयार किए गए पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज केस की सुनवाई की जाती है। साथ ही इस कोर्ट में आईपीसी की तुलना में सजा के प्रावधान ज्यादा कड़े हैं। कार्यशाला में इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले पुलिस अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक देवेंद्र पींचा, अपर जिलाधिकारी हेमंत कुमार वर्मा, एनसीपीसीआर के सलाहकार रिटायर्ड आईजी डॉ. राजेंद्र मलिक, आयोग के सदस्य सुमन राय, मोहित चौधरी, एससीपीसीआर आयोग के सदस्य धरम सिंह, रेखा रौतेला, सुमान राय, आयोग की अनुसचिव डा. रोशनी सती, मंडल के विभिन्न विभागों के अधिकारी, स्कूली बच्चों के साथ तमाम लोग उपस्थित रहे।