चम्पावत जिले की प्रतिभाओं को तरासने में लगा हुआ है लडवाल फाउंडेशन, जानें नरेंद्र लडवाल कर रहे हैं क्या काम…
चम्पावत। मॉडल जिले में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा एवं परीक्षा परिषद द्वारा संचालित हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षाओं के एक दशक के परिणाम में नजर दौड़ाएं तो यहां के ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों के छात्र छात्रों में अपनी लगन से गगन छूने का प्रयास कर शिक्षा के मामले में एकाधिकार जमाए शहरी विद्यालयों को संदेश दिया जा रहा है कि ‘हम भी किसी से कम नहीं हैं’। यह परिवर्तन एवं स्पर्धा की भावनाएं उन्हें लड़वाल फाउंडेशन से मिली हैं, जो गरीब एवं मेधावी प्रतिभाओं को तरासने के लिए प्रतिवर्ष सम्मान समारोह आयोजित कर उन्हें पुरस्कार से सम्मानित करते हुए उनका बहुत बड़ा सहारा बने हुए हैं।

स्वत्थान एवं लडवाल फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष इंटरमीडिएट में जिले के टॉपर आने वाले बच्चों को 51 हजार, दूसरे व तीसरे स्थान में रहे बच्चों को 31 व 21 हजार, इसी प्रकार हाईस्कूल में यह राशि 31, 21 एवं 11 हजार रुपये दी जाती है। यही नहीं राज्य की मेरिट सूची में यदि कोई बच्चा प्रथम 25 सूची में अपना नाम दर्ज करता है तो उसे भी यह पुरस्कार देकर उसका उत्साह वर्धन किया जाता है। यदि बच्चों के समान अंक मिलते हैं तो उन्हें भी बाकायदा वही प्रोत्साहन धनराशि दी जाती है। इस वर्ष 10 वां प्रोत्साहन कार्यक्रम 19 मई को इंडस नेशनल स्कूल लडवाल स्टेट चम्पावत में आयोजित होने जा रहा है। जिसमें विशिष्ट जनों द्वारा इन बच्चों को प्रोत्साहन राशि देकर कर उनकी पीठ थपथपाई जाएगी।
शिक्षा की ज्योति से चम्पावत जिले को आलोकित करते आ रहे हैं लडवाल
अपनी ईमानदारी एवं बच्चों के प्रति पूर्ण समर्पण का भाव रखने वाले मुख्य शिक्षा अधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट का कहना है कि जिले में नरेंद्र लडवाल दीप से दीप जलाकर उसकी ज्योति से मॉडल जिले को आलोकित करने के जो प्रयास कर रहे हैं, उसके परिणाम हमारे सामने हैं। इसे हम दुर्भाग्य की कहेंगे कि राजकीय विद्यालयों के शैक्षिक स्तर में लगातार सुधार करने के बावजूद भी हम अपने यहां छात्र संख्या को नहीं बढ़ा पा रहे हैं, किंतु लडवाल फाउंडेशन की प्रेरणा से हमारे प्रयासों को आशातीत बल मिला है। जब दूरदराज एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के नाम हम मेरिट सूची में देखते हैं तो, हमें गर्व का अनुभव होता है कि शिक्षा की ज्योति को अखंड बनाए रखने के लिए नरेंद्र लडवाल जैसे लोग लगातार घी देने का काम कर रहे हैं।


