मां पूर्णागिरि धाम : मोबाइल नेटवर्किंग सेवा हुई बदहाल, श्रद्धालुओं को करना पड़ रहा दिक्कतों का सामना
अमित जोशी बिटटू, टनकपुर सहयोगी,
उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध धाम मां मां पूर्णागिरि का मेला शुरू हो गया है। रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शनों को पहुंच रहे हैं। फिलहाल मेला क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्किंग की सेवा बदहाल है। जिससे मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
टनकपुर पूर्णागिरी मार्ग की ग्राम सभा उचौलीगोठ से मुख्य मंदिर तक 17 किलोमीटर के इलाके के 90% से अधिक क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क सेवा ध्वस्त चल रही है। इस वजह से यात्रियों व स्थानीय लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब हो कि पूर्णागिरि क्षेत्र में सरकारी स्तर पर मां पूर्णागिरि धाम पहुंचने के लिए सड़क मार्ग विद्युत एवं पेयजल की व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई है, लेकिन मोबाइल नेटवर्किंग को लेकर लगातार दिक्कत देखने को मिल रही है। जिसके चलते दर्शनार्थी एवं स्थानीय लोगों का संपर्क कटा रहता है। सबसे बड़ी दिक्कत मेला क्षेत्र में परिजनों के बिछड़ जाने पर होती है। जब कोई वृद्ध या बच्चा अपने परिजनों से बिछुड़ कर उनसे दूर हो जाता है तो उसे खोजने में काफी दिक्कत होती है। लोगों का एक दूसरे से संपर्क बनाना नामुकिन हो जाता है। अगर मेला क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क ठीक हो जाए तो लोगों को तमाम दिक्कतों से निजात मिल सकती है। इतना ही नहीं मोबाइल नेटवर्क सुविधा बेहतर हो जाए तो मां पूर्णागिरि धाम को डिजिटल माध्यम से भी जोड़ा जा सकता है। जिससे लोग माता रानी के दर्शन आनलाइन भी कर सकते हैं। मेला क्षेत्र में भैरव मंदिर के समीप जिओ की नेटवर्किंग सुविधा है। जिसको ठीक कर यह नेटवर्किंग की सुविधा मुख्य मंदिर तक भी पहुंच सकती है।
मोबाइल नेटवर्किंग को बेहतर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। जिले में 21 स्थानों पर मोबाइल टावर लगाए जाएंगे। जल्द पूर्णागिरि क्षेत्र सहित अन्य स्थानों पर नेटवर्किंग की सुविधा बेहतर की जाएगी। नरेंद्र सिंह भंडारी, जिला अधिकारी चम्पावत
मां पूर्णागिरि धाम में सभी सुविधाएं पहले से बेहतर हैं, लेकिन नेटवर्किंग के क्षेत्र में अभी भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अंकित, निवासी पीलीभीत
मां पूर्णागिरि क्षेत्र में दर्शन करने की सुविधा बेहतर हो चुकी है, लेकिन मोबाइल नेटवर्किंग के चित्र में कार्य किया जाना भी बहुत जरूरी है। जिससे स्थानीय लोगों के साथ ही दर्शनार्थियों को अपनों से संपर्क बनाने में सहायता मिलेगी। अंकुर, निवासी बरेली