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मल्लिकार्जुन खरगे बने कांग्रेस के नए अध्यक्ष, छात्रसंघ महासचिव से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष तक, जानें मल्लिकार्जुन खरगे का पूरा सफर

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कांग्रेस को 24 साल बाद आज पहला गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है। वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने शशि थरूर को भारी मतों से हरा दिया है। खरगे ने 7897 वोटों से जीत हासिल की है जबकि शशि थरूर को करीब 1000 वोट मिले। सात गुना ज्यादा वोटों से खरगे को जीत मिली है। चुनाव में 9,800 से ज्यादा कांग्रेस नेताओं ने वोट दिया था। इनमें से 7,897 वोट खरगे के पक्ष में पड़े। वहीं, उनके विरोधी शशि थरूर को 1072 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। 416 वोट खारिज कर दिए गए। नए अध्यक्ष की रेस में शुरुआत से ही मल्लिकार्जुन खरगे को आगे बताया जा रहा था। इसका बड़ा कारण ये है कि गांधी परिवार से लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का समर्थन खरगे को मिला था।

मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में जानें
मल्लिकार्जुन खरगे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। पिता मपन्ना खरगे और मां का नाम सबावा था। खरगे ने कर्नाटक के गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद यहां सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। खरगे की रुचि शुरू से ही राजनीति में रही। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान वह छात्रों के मुद्दों को लेकर संघर्ष किया करते थे। इसी के कारण वह यहां स्टूडेंट यूनियन के महासचिव भी चुने गए थे। खरगे ने राधाबाई से शादी की है और दोनों के पांच बच्चे भी हैं। इनमें दो बेटियां और तीन बेटे शामिल हैं। 2006 में मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने धर्म को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि वह बौद्ध धर्म को मानते हैं।

वकालत की, फिर मजदूरों की लड़ाई लड़ने लगे
खरगे ने गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद वकालत की। इसके बाद वह मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ने लगे। 1969 में वह एमकेएस मील्स कर्मचारी संघ के विधिक सलाहकार बने। इसके बाद उन्हें संयुक्त मजदूर संघ का प्रभावशाली नेता माने जाने लगा।

कांग्रेस में शामिल हुए और विधायक चुने गए
1969 में ही वह कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने उनकी लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें गुलबर्गा कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल विधानसभा सीट से विधायक बने। खरगे गुरमीतकल सीट से नौ बार विधायक चुने गए। इस दौरान उन्होंने विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला। 2005 में उन्हें कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। 2008 तक वह इस पद पर बने रहे। 2009 में पहली बार सांसद चुने गए। खरगे गांधी परिवार के भरोसेमंद माने जाते हैं। इसका समय-समय पर उनको इनाम भी मिला। साल 2014 में खरगे को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया। लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने उन्हें 2020 में राज्यसभा भेज दिया। पिछले साल गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म हुआ तो खरगे को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया।