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101 किलो अफीम व दो किलो हेरोइन बरामदगी के मामले में नैनीताल का डालचंद भी हुआ है गिरफ्तार, जानें कैसे धरे गए तस्कर

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नई दिल्ली। स्पेशल सेल ने ड्रग्स तस्करी के मामले में उत्तराखंड के नैनीताल जिले के डालचंद समेत छह कुख्यात तस्करों को गिरफ्तार कर तस्करी के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इनके कब्जे से 101.620 किलो अफीम व दो किलो हेरोइन बरामद की गई है। पुलिस का दावा है कि उक्त ड्रग्स की कीमत 85 करोड़ रुपये हो सकती है। इनके कब्जे से ड्रग्स की बिक्री से प्राप्त 7.5 लाख हवाला की रकम भी जब्त की गई है।

बरामद अफीम और हेरोइन झारखंड व उत्तर-पूर्वी राज्यों से लाई गई थी, जिसे दिल्ली-एनसीआर समेत विभिन्न राज्यों में आपूर्ति की जानी थी। ड्रग्स की यह खेप एक ट्रक और एक महिंद्रा एक्सयूवी 300 से लाई गई थी। सेल ने दोनों वाहनों व मादक पदार्थों की तस्करी में इस्तेमाल किए गए कई मोबाइल व सिमकार्ड भी बरामद किए हैं।

विशेष आयुक्त स्पेशल सेल एचजीएस धालीवाल के मुताबिक डीसीपी राजीव रंजन सिंह, एसीपी वेदप्रकाश के नेतृत्व में इंस्पेक्टर विवेकानंद पाठक व कुलदीप सिंह की टीम ने दो अंतरराज्यीय तस्कर गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया।

ये हैं आरोपी
इनके नाम लखपत सिंह (बरेली), सुरेश (बरेली), डालचंद (नैनीताल, उत्तराखंड), प्रकाश पुरी (बरेली), तसलीमा बेगम (असम) व रवि प्रकाश (चूरू, राजस्थान) हैं। रवि दिल्ली में डीडीए फ्लैट्स, सेक्टर चार, रोहिणी में रह रहा था। स्पेशल सेल ड्रग्स तस्करों के खिलाफ अपने अभियान में कई ड्रग्स तस्करों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से अफीम और हेरोइन की बड़ी खेप बरामद कर चुकी है।

इन राज्यों में सक्रिय था गिरोह
मणिपुर, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर आदि राज्यों में सक्रिय अंतरराज्यीय नारकोटिक ड्रग कार्टेल के बारे में जानकारी पर सेल की टीम काम कर रही थी। यह भी पता चला कि आरोपित झारखंड और मणिपुर के आपूर्तिकर्ताओं से अफीम और हेरोइन की खरीद के बाद दिल्ली-एनसीआर, यूपी और उत्तराखंड में अफीम की आपूर्ति में शामिल हैं।

यहां से लाया जाता है माल
झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्र जहां नक्सलियों द्वारा लोगों को अवैध रूप से अफीम की खेती करने और दिल्ली में आपूर्ति करने के लिए हेरोइन के शुद्ध रूप में संसाधित करने के लिए मजबूर किया जाता है। मणिपुर में म्यांमार सीमा के आसपास पहाड़ी इलाकों से कच्चा माल इकट्ठा करने वाले मणिपुर के आपूर्तिकर्ताओं से हेरोइन की खरीद के बाद दिल्ली-एनसीआर में हेरोइन की आपूर्ति में शामिल एक गिरोह के बारे में जानकारी मिली थी।

इसके बाद करीब पांच माह तक जांच पड़ताल के बाद बरेली निवासी लखपत और सुरेश को संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से दबोच लिया। वे झारखंड के सप्लायरों से अफीम खरीदकर उत्तराखंड के किच्छा निवासी डालचंद के निर्देश पर सप्लाई करते थे। उसके बाद उत्तराखंड से डालचंद को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद प्रकाश पुरी को बरेली से गिरफ्तार किया गया।

उससे पास से 7.5 लाख हवाला के पैसे बरामद किया गया। दूसरे मामले में सेल को सूचना मिली कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के आपूर्तिकर्ताओं से हेरोइन खरीदने के बाद नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त असम के सिबसागर निवासी महिला तसलीमा बेगम शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन के पास हेरोइन की आपूर्ति करने आएगी। वहां से अन्य को भी दबोच लिया गया। लखपत सिंह और सुरेश से पूछताछ में पता चला कि वे छह साल से नशीले पदार्थों की तस्करी करते थे।

डालचंद के निर्देश पर दोनों ने झारखंड स्थित आपूर्तिकर्ताओं से बरामद अफीम की खरीद की थी। डालचंद मोबाइल फोन के माध्यम से आपूर्तिकर्ताओं से संपर्क करता था। कानून प्रवर्तन एजेंसियों को चकमा देने के लिए वे लोग अफीम को नारियल के थैलों के बीच छिपा देते थे। डालचंद, झारखंड के लातेहार और खूंटी निवासी लल्लन उर्फ पप्पू और भानू से अफीम खरीदतता था और लखपत सिंह और सुरेश के माध्यम से दिल्ली समेत चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में लेजाकर बेचता था। प्रकाश पुरी हवाला कारोबार करता है।

वह बरेली और आस-पास के क्षेत्रों के ड्रग सप्लायर्स से बड़ी रकम प्राप्त करता था और फिर उसी को झारखंड, असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल आदि में अलग-अलग लोगों को ट्रांसफर कर देता था। हवाला का पैसा और प्राप्तकर्ता के पते का पता लगाने के बाद वह प्रेषक को वाट्स एप पर मुद्रा नोट की तस्वीर प्राप्तकर्ता से प्राप्त करने के लिए कहता था।

इसके बाद वह उस करेंसी नोट की तस्वीर संबंधित शहर में काम करने वाले किसी अन्य हवाला डीलर को भेज देता था और उसे निर्देश देता था कि जो भी व्यक्ति उस नंबर वाले नोट के साथ आता है, उसे यह राशि सौंप दी जाए। वह प्रति लाख रुपये पर 800 रुपये कमीशन देता था।

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