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‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने पर चम्पावत में गूंजा राष्ट्रभक्ति का जयघोष

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चम्पावत। भारत के गौरवशाली राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर शुक्रवार को चम्पावत जिला राष्ट्रप्रेम, उल्लास और एकता के भाव से ओतप्रोत हो उठा। इस ऐतिहासिक दिवस को स्मरणीय बनाने के लिए जनपदभर में सामूहिक राष्ट्रगीत गायन तथा विविध देशभक्ति कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

जिले के सभी शिक्षण संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, विकास भवन, जिला कलेक्ट्रेट तथा विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर एक साथ ‘वंदे मातरम’ का सामूहिक गायन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित अधिकारियों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों और आम नागरिकों ने राष्ट्रगीत को पूर्ण श्रद्धा एवं गर्व के साथ गाकर मातृभूमि के प्रति अपनी अटूट आस्था व्यक्त की।

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जिला कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में जिलाधिकारी मनीष कुमार ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह भारत माता के सम्मान, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति का शाश्वत मंत्र है। इस गीत ने आज़ादी के आंदोलन के दौरान करोड़ों भारतीयों के भीतर अदम्य साहस, एकता और बलिदान की भावना को प्रज्ज्वलित किया था। उन्होंने कहा कि 150 वर्षों का यह अवसर हम सभी के लिए मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य, समर्पण और जिम्मेदारी को पुनः स्मरण करने का एक पवित्र क्षण है।

गौरतलब है कि ‘वंदे मातरम’ की रचना वर्ष 1875 में महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा की गई थी, जो उनकी प्रसिद्ध कृति ‘आनंदमठ’ का एक अंश है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह गीत क्रांतिकारियों और देशभक्तों के लिए सर्वोच्च प्रेरणा-स्रोत बना रहा। वर्ष 1937 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्रदान किया और 24 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान सभा ने इसे भारत का आधिकारिक राष्ट्रीय गीत घोषित किया। चम्पावत जिले में हुए इन कार्यक्रमों के माध्यम से नई पीढ़ी को ‘वंदे मातरम’ के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय महत्व से अवगत कराया गया तथा राष्ट्रप्रेम की भावना को और सशक्त बनाने का संदेश दिया गया। इस दौरान जिला सभागार में अपर जिलाधिकारी कृष्णा नाथ गोस्वामी सहित अन्य उपस्थित रहे।