ऑपरेशन सिलक्यारा : अब 9 से 12 मीटर की ही ड्रिलिंग शेष, जल्द बाहर आ सकते हैं मजदूर
सिलक्यारा टनल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले टनल विशेषज्ञ कर्नल परिक्षित मेहरा ने बताया कि जल्द ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू होगा। बताया कि सब कुछ ठीक रहा तो शाम पांच बजे तक एस्केप टनल बनाने का काम पूरा हो जाएगा। अब 9 से 12 मीटर की ही ड्रिलिंग शेष है।
पीएम मोदी लगातार ले रहे अपडेट
उत्तरकाशी सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए जारी रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर पीएम मोदी लगातार अपडेट ले रहे हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी लगातार उनसे संपर्क कर अपडेट ले रहे हैं। आज भी पीएम मोदी ने उनसे रेस्क्यू ऑपरेशन की स्थिति के बारे में जानकारी ली। साथ ही जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए।
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह सिलक्यारा में ही मौजूद
केंद्र सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह सिलक्यारा में ही मौजूद है। वह अब तक दो बार सुरंग के अंदर जाकर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू करने की कवायद का जायजा ले चुके हैं।
मजदूरों बढ़ा उत्साह
सुरंग से बाहर आए कर्मचारियों ने बताया कि भीतर वेल्डिंग के धुएं की महक मजदूरों तक पहुंची हैं। उन्होंने वॉकी-टॉकी पर भीतर से ये जानकारी दी है। इससे 13 दिन से सुरंग में कैद मजदूरों का उत्साह बढ़ गया है।

सुरंग में एडवांस ड्रोन ने आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से दिखाई राह
बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा के छह टनलिंग-माइनिंग विशेषज्ञ इंजीनियर की टीम ने सुरंग में पहुंचकर आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से भीतर के हालात बताए, जिससे अभियान को अंजाम तक पहुंचाने में काफी मदद मिली। बीआरओ के डीडीजी ब्रिगेडियर विशाल वर्मा ने मलबे के भीतर ड्रिल में आ रही दुश्वारियों के बीच बंगलूरू की स्क्वाड्रोन इंफ्रा एंड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मदद ली।
अब मजदूरों को दिया जा रहा पका हुआ भोजन
सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों का भी खाने-पीने का भी ध्यान रखने वाली सात सदस्यीय टीम के लीडर रत्नाकर दास ने बताया कि पूर्व में 4 इंच के पाइप से हर 45 मिनट में अंदर फंसे मजदूरों को मुरमुरे, भूने चने, भीगे चने, बादाम, काजू, किशमिश और पॉपकार्न व मूंगफली दी जाती थी। जिसे वह स्टोर करके खाया करते थे। अब छह इंच का पाइप पहुंचने के बाद से मजदूरों को पका हुआ भोजन दिया जा रहा है। उनकी टीम मजदूरों और बचाव कार्य में लगी टीम के सुबह के नाश्ते, दिन व रात के खाने को पहुंचाने में दिन-रात जुटी रहती है।
मजदूरों के लिए भेजा गया नाश्ता
सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को आज नाश्ते में दूध, ब्रेड और चने दिए गए। इससे पहले बृहस्पतिवार को नाश्ते में उपमा तथा लंच में दाल-भात खाया। एक विशेष टीम ने उन तक यह सब पहुंचाया। यह टीम सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों के भी खाने-पीने का भी ध्यान रखती है।
सुरंग में फंसे पुष्कर सिंह ने दसवें दिन चखा नमक का स्वाद
टनकपुर। उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे टनकपुर छीनीगोठ के पुष्कर सिंह ऐरी के शुक्रवार शाम तक सुरक्षित निकलने की उम्मीद है। ये दावा उत्तरकाशी में इंतजार कर रहे पुष्कर के बड़े भाई विक्रम सिंह ऐरी ने फोन पर किया। राहत कार्य में लगी एजेंसी की मदद से विक्रम ने अपने भाई पुष्कर से बात भी की। इसके बाद विक्रम ने कहा कि भाई की शुक्रवार शाम सुरक्षित निकल आने की उम्मीद है। पुष्कर सिंह ने नौ दिन बाद नमक का स्वाद चखा। सुरंग में फंसे पुष्कर ने बताया कि सुरंग से निकालने के लिए डाला जा रहा पाइप काफी नजदीक पहुंच गया है और उसकी आहट को पुष्कर और अन्य फंसे लोग महसूस कर रहे हैं। विक्रम सिंह ने बताया कि पुष्कर को मंगलवार शाम को पहली बार खिचड़ी और फल खाने को मिले। इससे पूर्व 12 नवंबर से सभी फंसे लोग सूखे मेवे के जरिये भूख मिटा रहे थे। टनकपुर के छीनीगोठ गांव का 24 साल का पुष्कर सिंह ऐरी पिछले एक साल से उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में ऑपरेटर है। और इसी दौरान 12 नवंबर को 40 अन्य लोगों के साथ वह भी सुरंग में फंस गया। वहीं टनकपुर में प्रशासन पुष्कर की मां गंगा देवी और पिता राम सिंह के लगातार संपर्क में है। उनके इलाज और हौंसला देने का काम कर रहा है।
