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इंजीनियर डे पर खास # अभियांत्रिकि का नायब नमूना है बनबसा का शारदा बैराज

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चम्पावत जिले के बनबसा में स्थित करीब 93 वर्ष पूर्व बनाया गया शारदा बैराज (बनबसा बैराज) अभियांत्रिकी का नायाब नमूना है। अंग्रेज हुक्मरानों ने यूपी की 22 लाख एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई के लिए यह बैराज बनवाया था। इस बैराज के निर्माण में उस वक्त की अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया गया था, जो आज भी अभियांत्रिकी के छात्रों के लिए नई तकनीक का नमूना और मार्गदर्शक भी है। इस बैराज की खासियत इसका सिल्ट इजेक्टर और फिश लैडर है। बैराज निर्माण में इस बैराज को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। वर्ष 1928 में 10 वर्षों के परिश्रम से बनकर तैयार हुए बैराज को अंग्रेजों ने सिंचाई के लिए बनवाया था लेकिन आज यह बैराज भारत नेपाल के बीच आवागमन में पुल का काम भी कर रहा है। बनबसा बैराज से ही नेपाल के कंचनपुर जिला मुख्यालय के महेंद्रनगर को आवाजाही की जाती है। बैराज से रायबरेली (करीब 550 किमी) तक यूपी की 22 लाख एकड़ कृषि भूमि की सिंचाई के लिए शारदा नहर के जरिये पानी पहुंचाया जाता है। नहर की फुललोड क्षमता 11500 क्यूसेक है। शारदा नहर से ही लोहियाहेड पावर हाउस की 13-13 मेगावाट क्षमता की तीन टरबाइनें घुमाने के लिए पानी दिया जाता है। नेपाल को भी उसकी जरूरत का पानी नेपाल चैनल से दिया जाता है।

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शारदा बैराज की खास बातें

  1. बैराज की लंबाई 598 मीटर है।
  2. बैराज संचालन के लिए 34 गेट बनाए गए हैं।
  3. बैराज से निकली नहर की लंबाई बनबसा से रायबरेली तक 550 किमी है।
  4. बैराज की जलघनत्व सहन क्षमता छह लाख क्यूसेक है। इस बैराज ने 18 जून 2013 को सर्वाधिक 5.44 लाख क्यूसेक पानी क्षमता को सहन किया है।
  5. शारदा नहर के संचालन के लिए 16 गेट बनाए गए हैं, जो मैनुअल, हाइड्रो तकनीक से भी खोले और बंद किए जाते हैं।
  6. निर्माण के समय अत्याधुनिक तकनीक से किया गया फिशलैडर और सिल्ट इजेक्टर का निर्माण।
  7. शारदा नहर की फुललोड क्षमता है 11500 क्यूसेक।
  8. बैराज निर्माण में 10 वर्ष का समय लगा।
  9. बैराज के निर्माण में तब साढ़े नौ करोड़ रुपये से अधिक लागत आई थी।
  10. बैराज निर्माण में 25 हजार मजदूरों का श्रम लगा। बीमारी, हादसे, डाकुओं से मुठभेड़ आदि में करीब एक हजार लोगों की जानें भी गईं।
    11 दिसंबर 1928 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था बैराज
    बैराज को 11 दिसंबर 1928 को तत्कालीन यूपी संयुक्त प्रांत के गवर्नर सर मैलकम हेली ने राष्ट्र को समर्पित किया था। बताया जाता है कि उस समय बैराज निर्माण में लगे मजदूरों के अलावा अभियंता, और प्रशासन के करीब 25 हजार लोगों के बीच बैराज राष्ट्र को समर्पित किया गया था।

बैराज निर्माण में लगे 10 वर्ष
वर्ष 1956-57 में मद्रास इंजीनियरिंग कोर के लेफ्टिनेंट एंडरसन ने नहर निकालने को बनबसा फुटहिल (जहां से पहाड़ शुरू होते हैं) को उपयुक्त पाया। उन्होंने बैराज निर्माण का सर्वे शुरू किया लेकिन 1857 के विद्रोह में उनके सभी अभिलेख नष्ट हो गए।
उनकी एकमात्र बची डायरी के आधार पर वर्ष 1867 में कैप्टन फारबेस ने सर्वे कार्य आगे बढ़ाया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद सर बर्नार्ड डायरले ने बैराज की डिजाइनिंग की। वर्ष 1918 में बैराज निर्माण शुरू हुआ जो 10 वर्षों बाद 1928 में संपन्न हुआ।

अधिकार यूपी का, सुरक्षा उत्तराखंड पुलिस के जिम्मे
यूपी के अधिकार वाली इस राष्ट्रीय संपत्ति को सुरक्षा देने का काम उत्तराखंड पुलिस के जिम्मे है। सीओ अविनाश वर्मा ने बताया कि बैराज की सुरक्षा राज्य पुलिस के हाथों हैं, जिसके एवज में यूपी सिंचाई विभाग से कोई आर्थिक या अन्य मदद नहीं मिलती है।

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