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हड़ताली उपनल कर्मियों को मिला कांग्रेस का साथ, गणेश गोदियाल और ज्योति रौतेला धरने में हुए शामिल

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देहरादून। नियमितीकरण व समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग को लेकर उपनल कर्मचारियों का धरना आज भी जारी है। उपनल के कर्मचारी परेड ग्राउंड के निकट सड़क के किनारे धरने पर बैठे हुए हैं। मंगलवार को उनकी मांगों के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल आंदोलनरत कर्मचारियों के धरना स्थल पर पहुंचे।

गणेश गोदियाल ने धरने पर बैठे कर्मियों से मुलाकात करते हुए उनका हाल-चाल जाना। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्षों से इन कर्मचारियों की आवाज को अनसुना करना न्याय का खुलेआम अपमान है। यह कर्मचारी राज्य की रीढ़ हैं। बीते कई दिनों से सड़क पर धरने पर बैठे हुए ये कर्मचारी सरकार की कठोरता और तानाशाही का जीता जागता उदाहरण हैं। गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस इनके समर्थन मे खड़ी है। जब तक इन्हें न्याय नहीं मिल जाता, कांग्रेस पार्टी पीछे हटने वाली नहीं है।

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https://twitter.com/UKGaneshGodiyal/status/1990812082447540370

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि भाजपा सरकार, कर्मचारियों के हितों, रोजगार व संविदा व्यवस्था के सुधार पर जानबूझकर मौन साधे हुए है। हम सरकार से तत्काल कर्मचारियों से वार्ता करके उनकी मांगों पर समयबद्ध समाधान निकालने की मांग करते हैं। उनके रोजगार और जीवन सुरक्षा को लेकर सरकार पारदर्शी नीति लागू करे। यदि राज्य सरकार इनकी समस्याओं का निराकरण कर देती है, तो वह भी उनके साथ सरकार का अभिनंदन करेंगे।

https://twitter.com/JyotiRautela11/status/1990834838841024759

उपनल कर्मियों के धरने पर महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष ज्योति रौतेला भी पहुंचीं। उन्होंने खुले आसमान के नीचे अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के लिए टेंट उपलब्ध करवाए। पुलिस ने महिला कांग्रेस नेताओं से सड़क पर टेंट लगाने पर आपत्ति जताई। उनको बताया कि यह कोई स्थायी धरना स्थल नहीं, बल्कि व्यस्त मार्ग है। सड़क पर टेंट नहीं लगाया जा सकता है।
इसी बात को लेकर महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। ज्योति रौतेला का कहना है कि ऐसे वक्त में जब धामी सरकार कर्मचारियों की आवाज सुनने को तैयार नहीं है, इस स्थिति में खुले आसमान के नीचे रातें गुजार रहे उपनल कर्मचारियों को टेंट उपलब्ध कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का काम जनता को सुविधाएं प्रदान करना है, ना कि आंदोलित कर्मियों के प्रति बेरुखी दिखाना है।