सिस्टम की खामी! बीच ऑपरेशन में डॉक्टर ने खड़े किए हाथ, एयरलिफ्ट कर AIIMS लाई गई मरीज
चमोली/उत्तराखंड। पहाड़ में स्वास्थ्य व्यवस्था के लचर हालात से कई बार लोगों की जान पर बन आती है। कई लोग तो अपनी जान भी गवां चुके हैं। कई की जान खतरे में पड़ जाती है। ऐसा ही कुछ चमोली में हुआ है। शनिवार को चमोली के जिला अस्पताल गोपेश्वर में डॉक्टर ने एक महिला का ऑपरेशन शुरू किया, लेकिन आधे ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने ऑपरेशन रोक दिया और परिजनों को मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए कह दिया। यह सुन परिजनों के हाथ-पांव फूल गए।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विकासखंड जोशीमठ के पोखनी गांव की 35 वर्षीय प्रमिला देवी पत्नी बाल सिंह कुछ दिनों पहले पेट में दर्द की समस्या को लेकर जिला अस्पताल गोपेश्वर में डॉक्टर के पास परीक्षण के लिए गई थी। डॉक्टर द्वारा उन्हें बताया गया कि उनकी बच्चेदानी के पास रसौली (गांठ) है और उसका ऑपरेशन करवाना जरूरी है। इसके बाद 24 अगस्त 2024 की दोपहर सर्जन द्वारा प्रमिला का ऑपरेशन शुरू किया गया, लेकिन आधे ऑपरेशन के बाद ही अचानक से सर्जन ने परिजनों को बताया कि यह ऑपरेशन पूरा करना उनके हाथ में नहीं है। मरीज को हायर सेंटर के लिए रेफर करना होगा। ये सुन परिजनों के हाथ पांव फूल गए। क्योंकि बारिश के कारण सड़कों की स्थिति विकट बनी हुई है। मरीज को बचाने के लिए दूसरा कोई विकल्प सामने नहीं दिख रहा था।
मरीज के परिजनों ने ऑपरेशन कर रहे सर्जन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए अस्पताल में ग्रामीणों के साथ हंगामा काटना शुरू कर दिया। हंगामा बढ़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने एयर एंबुलेंस से मरीज को एम्स ऋषिकेश ले जाकर बेहतर उपचार का आश्वासन दिया। दूसरी तरफ ग्राम प्रधान संदीप भंडारी ने गंभीरता दिखाते हुए राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट को स्थिति के बारे में फोन पर जानकारी दी। जिस पर सांसद महेंद्र भट्ट ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मरीज को एम्स ऋषिकेश पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर भेजा। हालांकि, इस दौरान मरीज के परिजन सर्जन को भी मरीज के साथ ले जाने की जिद पर अड़ गए। आखिर में परिजनों की मांग पर सर्जन भी हेलीकॉप्टर से मरीज के साथ एम्स पहुंचे। जहां महिला का उपचार जारी है।
जिला अस्पताल गोपेश्वर के सीएमएस अनुराग धनिक का कहना है कि मरीज का ऑपरेशन शुरू किया गया था। जिस तरह के हालात और गंभीर समस्या मरीज के पेट में देखने को मिली, उस पर मरीज की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें हायर सेंटर रेफर का निर्णय लिया गया। क्योंकि महिला का ऑपरेशन करना एक सर्जन के द्वारा करना मुमकिन नहीं था। उन्होंने बताया कि अगर जिला अस्पताल गोपेश्वर में जबरदस्ती उनका ऑपरेशन करने की कोशिश करते तो मरीज की जान खतरे में पड़ सकती थी।