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टनकपुर : ब्रितानी हुकूमत के दौर की भूमिगत टनल बनेगी पर्यटन का केंद्र

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बूम घाट से टनकपुर तक करीब तीन किमी लंबी 100 साल पुरानी टनल होगी संरक्षित

अमित जोशी बिट्टू, टनकपुर।
चम्पावत जिले के टनकपुर में स्थित ब्रिटिश कालीन भूमिगत टनल को धरोहर के रूप में संजोया जाएगा। साथ ही यह पर्यटन का केंद्र भी बनेगी। इसको लेकर प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। प्रशासन व पर्यटन विभाग के ​​अधिकारियों ने पिछले दिनों इस टनल का निरीक्षण भी किया। जिला प्रशासन के माध्यम से इसका प्रस्ताव सरकार को भेजने की तैयारी चल रही है।

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टनकपुर में बूम घाट से टनकपुर तक ब्रिटिश हुकूमत के वक्त बनी नहर का निरीक्षण करते एसडीएम हिमांशु कफल्टिया।

ब्रिटिश कालीन इस भूमिगत टनल का निर्माण सौ साल पहले होने का दावा है। बूम घाट से टनकपुर तक शारदा नदी के किनारे बनी ब्रिटिश कालीन भूमिगत यह टनल बंद हो गई। यह नहर करीब तीन किमी लंबी है। अधिकारियों के मुताबिक चार पांच दशक पहले तक इस टनल के माध्यम से लकड़ियां टनकपुर को परिवहन की जाती थीं। इसके साथ हो अनाज पीसने के लिए इस टनल के फोर्स से घराट भी चला करते थे। यह टनल टनकपर के विष्णुपुरी कॉलोनी स्थित नाले में खुलती थी, जहां वर्तमान में बड़ी आबादी बस चुकी है। जिसके चलते नगर क्षेत्र में भूमिगत टनल का अस्तित्व समाप्त सा हो गया है।


बीते दिनों अधिकारियों ने इस टनल का निरीक्षण कर स्थिति परखी। टनल के भीतर अंग्रेजों के दौरे के सिविल इंजीनियरों की उत्कृष्ट कृति और कला आज भी जस की तस है। प्रशासन इस टनल को आने वाले समय में पर्यटकों के लिए बड़े आकर्षण का केंद्र बनाने की तैयारी में जुट गया है। इसको एक धरोहर के रूप में भी विकसित किया जाएगा। जिससे इस टनल का संरक्षण बेहतर तरीके से हो पाएगा। इसी टनल के ऊपर से होकर ठुलीगाड़ तक दशकों पहले मालगाड़ी भी चला करती थी। जिसके पटरियों के अवशेष आज भी बूम और ठुलीगाड़ के जंगलों में दिखते हैं।

कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो सकती है टनल
टनकपुर। भूमिगत टनल के अंदर से कई जगहों पर क्षतिग्रस्त होने की संभावना भी है। अरसे से इस टनल पर कोई गतिविधियां नहीं हो पाईं। जिस कारण यह टनल कई जगहों पर बंद हो सकती है। कहा जा रहा है कि उचौलीगोठ में सरकारी स्कूल भी इस टनल के ऊपर बना है। माना जा रहा है कि टनल का भीतरी हिस्सा पक्के पत्थरों को उड़द दाल के मसाले से जोड़ कर बनाया गया है। जिसकी सुदंरता आज भी बरकरार है। कई जगहों पर टनल में झाड़ियां और जाल लगे हुए हैं। जिनकी जल्द सफाई की उम्मीद है।

बीते दिनों पर्यटन अधिकारी और मैंने इस ब्रिटिश कालीन भूमिगत टनल का निरीक्षण किया। जिसकी सुन्दरता आज भी बरकरार है। इसे पर्यटन का केंद्र बनाते हुए घरोहर के रूप में संजोने के लिए उच्च अधिकारियों से वार्ता की गई है। जल्द इस पर कोई फैसला लिया जाएगा।
हिमांशु कफल्टिया उप जिलाधिकारी मां पूर्णागिरि तहसील टनकपुर

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