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गुलदार के सामने ढाल बनी बेटी, गीता मौत के जबड़े से खींच लाई को पिता को

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देर रात घटित इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया, गुलदार की सक्रियता से क्षेत्र के लोग दहशत में हैं

उत्तराखंड के जनपद अल्मोड़ा की बहादुर बेटी गीता ने साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए गुलदार के जबड़े में फंसे अपने पिता की जान बचा ली। इस हमले में गीता के पिता गंभीर रूप से घायल हुए हैं। देर रात घटित इस घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। गुलदार की सक्रियता से क्षेत्र के लोग दहशत में हैं।

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जानकारी के मुताबिक यह पूरी घटना गुरुवार रात करीब एक बजे की है। मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया विकासखंड के भटकोट गांव निवासी 61 वर्षीय चंदन राम केशर इन दिनों बैराठ क्षेत्र के रतनपुर में किराये के मकान में पत्नी और पुत्री के साथ रह रहे हैं। बताया गया है कि मकान का मुख्य द्वार बंद था और दूसरी मंजिल के बरामदे में कुत्ते बंधे हुए थे। रात के सन्नाटे में अचानक कुत्तों के तेज भौंकने की आवाज गूंजने लगी। इसी दौरान गुलदार छत के रास्ते मकान में घुस आया और सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए बरामदे तक पहुंच गया। कुत्तों के शोर से सतर्क हुए चंदन राम जैसे ही कमरे का दरवाजा खोलकर बाहर आए, घात लगाए गुलदार ने उन पर झपट्टा मार दिया।

गुलदार ने चंदन राम को जबड़े में दबोच लिया और उन्हें घसीटते हुए सीढ़ियों के रास्ते नीचे ले जाने लगा। इसी बीच चीख-पुकार सुनकर उनकी 24 वर्षीय पुत्री गीता देवी कमरे से बाहर दौड़ी। सामने पिता को गुलदार के मुंह में देख उसने शोर मचाया, जिससे मकान में रहने वाले अन्य लोग भी जाग गए। इस विषम परिस्थितियों में जहां लोग अपना धैर्य तक को देखते हैं, वहीं गीता ने साहस एवं सूझबूझ का परिचय दिया।
हालात की गंभीरता को समझते हुए गीता ने पल भर की भी हिचक नहीं दिखाई। वह पीछे से गुलदार पर झपट पड़ी और पूरी ताकत से वार कर दिया। अचानक हुए हमले और शोरगुल से घबराया गुलदार चंदन राम को छोड़कर सीढ़ियों के रास्ते छत पर चढ़ा और जंगल की ओर भाग गया।

इस हमले में चंदन राम के गर्दन, सिर और चेहरे पर दांत व नाखूनों के गहरे घाव हो गए। वह बुरी तरह लहूलुहान हो चुके थे। रात करीब दो बजे उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौखुटिया पहुंचाया गया, जहां चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के साथ उनके घावों में 35 टांके लगाए। स्थिति गंभीर होने के कारण शुक्रवार को उन्हें हायर सेंटर बेस अस्पताल अल्मोड़ा रेफर कर दिया गया, जहां उनका इलाज जारी है। घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग भी सक्रिय हुआ। वन क्षेत्राधिकारी गोपाल दत्त जोशी और रेंज अधिकारी विक्रम सिंह कैड़ा अस्पताल पहुंचे और पीड़ित को तत्काल 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की।

इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है, वहीं गीता देवी की बहादुरी की हर ओर चर्चा हो रही है। स्थानीय लोग उसे ‘पहाड़ की शेरनी’ बताते हुए उसकी हिम्मत और साहस एवं सूझबूझ की जमकर सराहना कर रहे हैं। बेटी के इस जज्बे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि संकट की घड़ी में पहाड़ की बेटियां किसी से कम नहीं होतीं। बात जब अपने परिवार पर आ जाए तो वह हर परिस्थिति का सामना कर सकती है।