मां बाराही धाम ट्रस्ट को लेकर कवायद हुई तेज, मंदिर समिति डीएम से मिली, जानें इस बार कब होगी ‘बग्वाल’

चम्पावत। आधुनिक युग में पत्थर युद्ध यानी कि ‘बग्वाल’ के लिए प्रसिद्ध देवीधुरा के मां बाराही धाम की व्यवस्थाओं का संचालन कर रही मां बाराही कमेटी को ही विस्तृत स्वरूप देकर ट्रस्ट का दर्जा दिया जाएगा। इस संबंध में गुरुवार को मंदिर समिति के एक शिष्टमंडल ने डीएम विनीत तोमर से मुलाकात की। समिति सदस्यों का कहना था कि विश्व प्रसिद्ध बग्वाल मेले के संचालन के लिए मंदिर कमेटी के पास संसाधनों की काफी कमी है। इसके लिए ट्रस्ट बनाया जाना जरूरी है। डीएम ने बताया कि ट्रस्ट गठन को लेकर प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं है। शिष्टमंडल ने कहा कि समिति के संविधान के अनुसार चार खाम और सात थोक के प्रतिनिधियों की सहमति से ही ट्रस्ट का गठन हो सकेगा। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष खीम सिंह लमगड़िया के नेतृत्व में आए शिष्टमंडल में हयात सिंह बिष्ट, विशन सिंह चम्याल, राजेंद्र सिंह बिष्ट, रमेश राणा, तारा चम्याल, जीत सिंह चम्याल, दीपक बिष्ट परिवर्तन, रोशन लमगडिय़ा, त्रिलोक सिंह बिष्ट, विरेंद्र सिंह आदि शामिल रहे।

राजकीय मेले के प्रस्ताव पर भी नहीं हुई कार्रवाई
चम्पावत। 2020 से कोरोना की वजह से मां बाराही धाम में बग्वाल प्रतीकात्मक रूप से हो रही है, लेकिन यह मेला लगातार विस्तार पा रहा है। बावजूद इसके बग्वाल मेले को राजकीय मेले का दर्जा नहीं दिलाया जा सका है। करीब दो सप्ताह तक चलने वाले इस मेले के आयोजन में लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन 2009 से मेला अनुदान भी नहीं मिला है और नहीं यहां किसी टैक्स से आय हुई है। जबकि बिजली व्यवस्था, सफाई, अस्थाई निर्माण से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम तक में मोटी रकम खर्च होती है। जिला पंचायत के एएमए राजेश कुमार का कहना है कि बग्वाल को राजकीय मेले में बदलने के लिए जिला पंचायत पांच साल से लगातार प्रस्ताव भेज रही है। लेकिन अभी आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी है।
#सांकेतिक रूप से होगी बगवाल, नहीं होगा विशाल मेला
चम्पावत। देवीधुरा के मां बाराही धाम मंदिर के खोलीखांड दुबाचौड़ में आषाड़ी कौतिक (रक्षाबंधन) के दिन होने वाली बग्वाल कोरोना के चलते सांकेतिक रूप से ही होगी। इस बार बग्वाल 22 अगस्त को होगी। फल-फूलों से खेली जाने वाली बग्वाल में चार खाम (चम्याल, गहरवाल, लमगडिय़ा और वालिग) और सात थोकों के योद्धा फर्रों के साथ शिरकत करते हैं। इसके साक्षी बनने के लिए दूरदराज से लाखों लोग एकत्र होते हैं। लेकिन साल 2020 की तरह ही इस बार भी कोरोना के चलते दो सप्ताह तक चलने वाला बग्वाल मेला नहीं होगा। मेले में दूरदराज से कारोबारी और सांस्कृतिक टीमें आती थीं। पिछली बार चारों खामों के योद्धाओं ने प्रतीकात्मक रूप से बगवाल खेली थी। जिसमें पूजा अर्चना और मंदिर की परिक्रमा हुई थी।

