न्याय की नई मूर्ति भारतीय न्यायपालिका के लिए एक प्रगतिशील दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करती है : प्रोफेसर सेमवाल
लोहाघाट/चम्पावत। स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लोहाघाट में राजनीति विज्ञान विभाग एवं एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के डॉ. अम्बेडकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के संयुक्त तत्वावधान में ऑन लाइन अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसका विषय ‘नागरिकों के लिए भारतीय संविधान का महत्व एवं प्रासंगिकता’ रहा।
सर्वप्रथम संयोजक डॉ. प्रकाश लखेड़ा ने संविधान दिवस की रूपरेखा रखी। मुख्य अतिथि प्रोफेसर एमएम सेमवाल प्रोफेसर राजनीति विज्ञान विभाग/समन्वयन डॉ. अम्बेडकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ने कहा की भारतीय संविधान में सर्वोच्च शक्ति जनता के पास होती है और देश की सभी संस्थाओं के कर्तव्य, कार्य और अधिकारों का वर्णन संविधान में निहित है। प्रोफेसर सेमवाल ने सभी श्रोताओं का ध्यान इस बात की ओर केंद्रित किया कि सर्वोच्च न्यायालय के 50वें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक विशेष बदलाव न्याय की देवी में किया है। पहले न्याय की देवी की मूर्ति के हाथ में तलवार व तराजू और आँखों में काली पट्टी से बंधी होती थी। अब बदलाव में न्याय की देवी की मूर्ति की आखें खुली और एक हाथ में तराजू व दूसरे हाथ में संविधान की पुस्तक को रखा गया है, जो कि हमारी न्याय व्यवस्था के प्रति नागरिकों और संस्थाओं के विश्वास और आस्था को मजबूत करता है।
अध्यक्षता में प्राचार्य (डॉ.) संगीता गुप्ता ने भारतीय संविधान को एक बहुमूल्य ग्रंथ कहा, जिसमें नागरिकों के कर्तव्य और अधिकारों की बहुत सुन्दर तरीके से वर्णन किया है। समापन अवसर पर सह संयोजक डॉ. रुचिर जोशी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. बृजेश कुमार ओली, डॉ. पुरुषोत्तम प्रसाद, डॉ. आशीष बहुगुणा, डॉ. स्वाति बिष्ट, डॉ. कमाना जैन, डॉ. राजेश कुमार पालीवाल, डॉ. हेमलता वर्मा, विकास चौधरी, विपिन कीर्थवान, सीता रोमोला, प्रतिमा दास, पूजा आर्या, लक्ष्मण प्रसाद, भावना भट्ट, अमीषा फर्त्याल, अलका सिंह, अंशुमन खुशावाह, दीपिका ढेक, कविता रावत, ज्योति, काजल गौतम, पूनम, बानी, लक्ष्मण प्रसाद, नीता आर्या, निर्भय कुमार, मोनिका, भावना धौनी, रेनु राय, दीपिका दीपिका सुराडी, तनुजा बोहरा, अर्जुन सिंह आदि मौजूद रहे।