चम्पावत में फिर उजागर हुई पहाड़ की पीड़ा : मरीज को डोली में बैठाकर चार घंटे पैदल चलने को विवश हुए ग्रामीण
चम्पावत। देवभूमि उत्तराखंड के कई गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। सीएम के विधानसभा क्षेत्र वाले चम्पावत जिले के हाल भी इससे जुदा नहीं हैं। यहां भी तमाम गांव आज भी सड़क की बाट जोह रहे हैं। सड़क न होने का खामियाजा ग्रामीण अक्सर भुगतते रहते हैं। ग्रामीणों की ऐसी ही पीड़ा एक बार फिर उजागर हुई है। चम्पावत जिला मुख्यालय से करीब 23 किमी दूर स्थित ग्राम पंचायत भंडार बोरा गांव के एक बुजुर्ग को ग्रामीण डोली से पांच किमी पैदल चलकर सड़क तक लाए। फिर वाहन से इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंचे। उबड़ खाबड़ रास्तों से होते हुए ग्रामीण काफी संघर्ष के बाद मरीज को सड़क तक लेकर पहुंचे।
जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत भंडार बोरा के रौकुंवर निवासी बुजुर्ग शिवराज सिंह (68) पिछले तीन दिन से बीमार चल रहे थे। तबीयत ठीक नहीं हुई तो ग्रामीणों ने रात को ही निर्णय लिया कि सोमवार सुबह पांच बजे बुजुर्ग को डोली से अस्पताल ले जाएंगे। प्लास्टिक की कुर्सी में दो लकड़ी के डंडे लगाकर डोली बनाई। फिर 14 ग्रामीण बीमार को लेकर सड़क की तरफ चले। बारी-बारी से डोली को कंधा देते रहे। थकावट भरे सफर में उन्हें थोड़ा आराम भी करना पड़ा। करीब चार घंटे बाद ग्रामीण सड़क तक पहुंचे। कुछ ग्रामीण डोली लेकर वापस गांव की तरफ चल दिए और शेष बुजुर्ग को वाहन में बैठाकर 18 किमी दूर अस्पताल भेजा गया। जहां डॉक्टर ने उनका इलाज कर उन्हें भर्ती कर लिया। मरीज को डोली से लाने वालों में ग्रामीण तारा सिंह, लक्ष्मण सिंह, रमेश सिंह, केदार सिंह, जगत सिंह, मनोज सिंह, सुरेश सिंह, राजेंद्र सिंह, प्रहलाद सिंह, विक्रम सिंह, दीपक सिंह, तेज सिंह, पूरन सिंह और नवीन सिंह शामिल रहे।
ग्राम प्रधान महेश सिंह कुंवर ने कहा है कि सड़क नहीं होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बीमार, गर्भवतियों को डोली के सहारे ही लाया जाता है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में क्षेत्र से पलायन भी बढ़ रहा है। सड़क को लेकर कई पर विभाग, प्रशासन, सीएम कैंप कार्यालय में ज्ञापन भी दे चुके हैं। सड़क बनती तो राह आसान हो जाती।