अंग्रेजों के समय बने डाक बंगलों को आधुनिक सुविधाओं सेकिया जा रहा लैस, पर्यटकों को करेंगे आकर्षित
पर्यटन एवं ईको पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए कदम बढ़ा रहा है मॉडल जिला चम्पावत : आरसी कांडपाल

चम्पावत। मॉडल जिला चम्पावत में वन विभाग अपने पुराने व अंग्रेजों के जमाने में बने विश्राम गृहों को आधुनिक सुविधाओं से लैस कर उनके द्वार पर्यटकों के लिए खोल रहा है। इसी के साथ जिले में ईको पर्यटन की संभावनाओं को पंख भी लगाए जा रहे हैं। अंग्रेजों के समय बनी इन धरोहरों को अब रोजगार एवं विभागीय आमदनी का जरिया बनाया जा रहा है। यह विश्राम गृह ऐसे स्थान में बने हैं, जहां से हिमालय की लम्बी श्रृंखलाएं दिखने के साथ यहां प्रकृति के विभिन्न चमत्कारों को नजदीक से देखा जा सकता है। घने जंगलों के बीच से निकलती सुबह के सूर्य की किरणों की बहुरंगी छटा देखने का तो अपना अलग ही आनंद है।
‘जायका’ के कंसलटेंट आरसी कांडपाल

यह सोच चम्पावत को मॉडल जिला बनाने के साथ यहां के पूर्व डीएफओ आरसी कांडपाल की थी, जो अब वर्तमान में उत्तराखंड वन संसाधन प्रबंधन योजना के मुख्य सलाहकार के रूप में जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ‘जायका’ के जरिए यहां के डीएफओ नवीन चंद्र पंत के साथ कदम से कदम मिलाकर कार्य कर रहे है। श्री कांडपाल पर्वतीय उत्पादों को जीआई टैग देकर उनकी खपत देश के महानगरों में करने की दिशा में भी मजबूत पहल कर रहे हैं। वर्तमान में यहां का जैविक शहद 1800 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। उनका इरादा चम्पावत जिले में मौन पालन कार्यक्रम को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित कर लोगों की आय बढ़ाना है।
श्री कांडपाल द्वारा जिन एक दर्जन गांवों में मौन पालन का कार्य अपने कार्यकाल में शुरू किया था वहां यह कार्यक्रम पूरी तरह फलीभूत हुआ है। इसी के साथ पहाड़ का कल्पवृक्ष कहे जाने वाले ‘च्यूरा’ का प्रक्षेत्र बढ़ाने के साथ घाट के समीप छीड़ा में स्थापित किए गए च्यूरा शोधन संयंत्र की क्षमता बढ़ाकर इसमें स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। श्री कांडपाल का कहना है कि चम्पावत मॉडल जिला ईको पर्यटन के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाने जा रहा है। इस कार्यक्रम को धरातल पर लाने के लिए देश के नामी कंसलटेंट कंपनी से टेंडर आ चुके हैं तथा शीघ्र ही उनकी सलाह पर इन धरोहरों को सजाने संवारने का काम शुरू हो जाएगा। इसी के साथ ईको पर्यटन के नए डेस्टिनेशन विकसित होते जाएंगे।

उधर भिंगराड़ा में पिरूल से बनाए जा रहे ब्रिकेट के स्थान में पिरूल के भंडारण के लिए टिन शैड के निर्माण हेतु जायका की ओर से 5.75 लाख रुपये की स्वीकृति दी जा चुकी है। इधर डीएफओ नवीन चंद्र पंत द्वारा वन एवं पर्यावरण विकास परिषद के उपाध्यक्ष दर्जा राज्य मंत्री के साथ जिले में ईको पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने वाले नए डेस्टिनेशन की तलाश जारी है।
