लोहाघाट : व्यक्ति यदि ठान ले तो बदल सकती है ग्राम पंचायत की तस्वीर व वहां के लोगों की तकदीर
ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को दिया जा रहा है थीम आधारित गहन प्रशिक्षण
लोहाघाट। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के तहत ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण शिविर में बताया जा रहा है कि बदलती हुई परिस्थितियों में अब गांवों में योजनाएं थोपने के बजाय वर्ष भर में ग्राम पंचायत की होने वाली चार खुली बैठकों के माध्यम से गांव के लोग ही गांव की सरकार की प्राथमिकताएं तय कर विकास का ऐसा स्वरूप तैयार करेंगे, जिसमें गांव की आम इकाई की अपनी भागीदारी होने के साथ हर परिवार इसका लाभ उठाएगा।
थीम आधारित प्रशिक्षण शिविर में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के अधिकार, कर्त्तव्य, सामाजिक व राष्ट्रीय दायित्व का बोध कराते हुए बताया गया कि गांव के व्यक्ति ही मिलकर गांव को ऐसा आवेश एवं परिवेश दे सकते हैं जहां हर व्यक्ति के हाथ में काम, गांव में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, सामाजिक समरसता, एक-दूसरे के पूरक बनने, हर व्यक्ति के आचार विचार व संस्कार बदलने से गांव का एक ऐसा स्वस्थ एवं सबल जनमानस अपने गांव को आदर्श रूप दे सकता है।
प्रशिक्षण में कैसे गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है? इस पर भी महत्वपूर्ण जानकारियां दी जा रही हैं। यहां कोलीढेक एवं भुमलाई न्याय पंचायत के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों व आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों की प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन करते हुए एडीओ पंचायत जनार्दन ओली ने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। जिससे उन्हें योजनाओं को कार्य रूप देने में आसानी होगी। केयर एंड नीड वेलफेयर सोसाइटी के विषय विशेषज्ञ डॉ. डीडी डिमरी, गिरीश नौटियाल, गिरीश जोशी, हरेंद्र सिंह नेगी, महावीर सिंह, आरसी रावत, गिरीश तिवारी द्वारा बहुत ही रोचक एवं कलात्मक ढंग से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। रविवार से न्याय पंचायत किमतोली ढोरजा एवं डुमडाई न्याय पंचायतों में प्रशिक्षण शुरू किए जाएंगे। समापन अवसर पर महिलाओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्हें ऐसी तमाम जानकारियां मिली हैं जिनके बारे में उन्हें आज तक पता नहीं था। उनका यह भी कहना था कि उन्हें नए अनुभव, ज्ञान के साथ कार्य संस्कृति में बदलाव लाने की तमाम प्रेरणा भी मिली है।