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पर्यटन विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता उद्योग : प्रो. बीएस बिष्ट

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सेमिनार में हुई हिमालयी राज्यों में पर्यटन के बुनियादी ढांचे, कला-संस्कृति पर चर्चा

लोहाघाट/चम्पावत। उत्तराखंड के हिमालयी राज्यों में पर्यटन के बुनियादी ढांचे, कला-संस्कृति एवं पर्यावरण पर प्रभाव विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भव्य रूप से किया गया। भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) नई दिल्ली के सहयोग से सेमिनार में कला-संस्कृति, प्रकृति और होम-स्टे पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखंड की रीढ़ पर विशेष चर्चा हुई।

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दो दिवसीय सेमिनार के मुख्य अतिथि प्रोफेसर सेवानिवृत्त कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल बीएस बिष्ट ने पर्यटन को विश्व का सबसे तेजी से बढ़ता उद्योग बताते हुए कहा कि यह वैश्विक जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देता है और 10.9 मिलियन नौकरियां सृजित करने की क्षमता रखता है। उन्होंने बताया कि भारत में 2024-25 के दौरान पर्यटन से लगभग 15.7 लाख करोड़ रुपये की आय हुई है।

विशिष्ट अतिथि प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय बनबसा प्रोफेसर आनंद प्रकाश सिंह ने कहा कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखंड का है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली डाॅ. संदेशा रायपा गर्ब्याल ने हिमालयी राज्यों में जीवन संतुलन बनाए रखने पर चर्चा करते हुए कहा कि कला, संस्कृति और सामाजिक विविधता को आर्थिक विकास एवं प्रकृति से जोड़ना जरूरी है।

सतीश पांडेय ने कुमाऊं मंडल में पर्यटन संवर्धन की मांग की। उन्होंने कहा कि गढ़वाल की तुलना में कुमाऊं में पर्यटन विकास कम है। सेमिनार संयोजक डाॅ. दिनेश व्यास ने कहा कि भारत के सात पर्वतीय राज्यों में पर्यटन विकास के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन अत्यंत आवश्यक है। उद्घाटन सत्र में 120 शोध पत्रों वाली राष्ट्रीय सेमिनार की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। संचालन डाॅ. ममता बिष्ट और स्वाति जोशी ने संयुक्त रूप से किया। सेमिनार समिति में डाॅ. रेखा जोशी, किशोर जोशी, ममता बिष्ट, सीमा नेगी, नीरज कांडपाल, स्वाति कांडपाल, सरस्वती भट्ट सदस्य रहे।