यूपी खबर : अतीक को मार डॉन बनना चाहते थे शूटर्स, घर से खत्म कर लिया था रिश्ता
लखनऊ। माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की शनिवार देर रात हत्या करने वाले तीनों शूटर्स पेशेवर अपराधी हैं। लूट और हत्या जैसे कई मुकदमों में तीनों आरोपी जेल भी जा चुके हैं। पुलिस ने इनकी पहचान सनी, अरुण और लवलेश के रूप में की है। अब तक की जांच में सामने आया है कि अतीक अशरफ की हत्या करने वाला लवलेश तिवारी बांदा का रहने वाला है, जबकि अरुण मौर्य हमीरपुर का निवासी है। तीसरा आरोपी सनी कासगंज जिले का है। अतीक को मारकर तीनों शूटर्स डॉन बनना चाहते थे। तीनों ने अपने परिवार से रिश्ता खत्म कर लिया था।
अतीक और असद की हत्या करने वाले शूटर लवलेश बांदा के शहर कोतवाली क्योटरा के रहने वाला है। उसके परिजनों के मुताबिक, लवलेश का उनके घर से कोई रिश्ता नहीं बचा था। पिता ने बताया कि 4 भाइयों में लवलेश तीसरे नंबर का है। उसे नशे की लत है और कई आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है। उन्होंने बताया कि एक हफ्ते पहले लवलेश घर आया था, उसके बाद वह नजर नहीं आया। शनिवार रात को अतीक अहमद की हत्या होते टीवी पर देखा तो उन्हें पता चला कि उनके बेटे ने ही अतीक को गोली मारी है।
हमीरपुर का रहने वाला है सनी सिंह : अतीक अहमद और अशरफ को गोली मारने वाले दूसरे शूटर का नाम सनी सिंह है और वह हमीरपुर का रहने वाला है। शूटर सनी के भाई पिंटू सिंह ने बताया कि सनी कुछ नहीं करता था और इसके ऊपर पहले से भी मामले दर्ज हैं। सनी के 3 भाई थे, जिसमें से एक की मृत्यु हो गई। पिछले कई वर्षों से सनी ऐसे ही घूमता-फिरता रहता था और फालतू के काम करता रहता था। सनी के भाई उससे अलग रहते हैं। वह बचपन में ही घर से भाग गया था।
अरुण मौर्य कर चुका है पुलिसकर्मी की हत्या
अतीक और अशरफ हत्याकांड का तीसरा आरोपी अरूण मौर्य है, जो कासगंज में सोरों थाना क्षेत्र के गांव बघेला पुख्ता का रहने वाला है। अरुण के पिता का नाम हीरा लाल है। जानकारी के मुताबिक, बीते 6 वर्षों से अरुण उर्फ कालिया बाहर रह रहा था। वह जीआरपी थाने के पुलिस कर्मी की हत्या के बाद फरार हुआ था। 15 वर्ष पहले अरुण के माता-पिता की मौत हो गई थी।
सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के मुताबिक, पुलिस की पूछताछ में तीनों हमलावरों ने बताया कि जेल में ही उनकी आपस में दोस्ती हो गई थी। तीनों अतीक और अशरफ की हत्या करके डॉन बनना चाहते थे। अतीक पर हमला करने वाले शूटरों का मानना है कि छोटे-छोटे अपराध में जेल जाने से उनका नाम नहीं हो रहा था, इसलिए वह कुछ बड़ा करने की सोच रहे थे। ऐसे में इस दौरान उन्हें पता चला कि अतीक और अशरफ को पुलिस हिरासत में अस्पताल ले जाया जा रहा है। तीनों ने बड़ा नाम कमाने के मकसद से हत्या की साजिश रची और शुक्रवार को हमला करने से पहले अस्पताल पहुंचकर रेकी की थी। इसके बाद शनिवार को तीनों ने मीडियाकर्मी बनकर अतीक और अशरफ को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।