टनकपुर, बनबसा में यूपी के तस्करों का डेरा, खैर के पेड़ों पर धड़ल्ले से चला रहे आरा

टनकपुर। लकड़ी के कारोबार की आड़ में यूपी के खैर तस्करों ने टनकपुर और बनबसा में डेरा जमा रखा है। ये धड़ल्ले से आरी चलाकर खैर के पेड़ों का जंगल साफ करने में लगे हैं। इन तस्करों को कुछ स्थानीय लकड़ी कारोबारियों का तो कुछ वन कर्मियों का भी संरक्षण प्राप्त है। हर दिन पेड़ों को काटकर लकड़ी यूपी भेज ठिकाने लगाई जा रही है। अब तक वन विभाग मौन था, लेकिन पिछले दिनों खैर की लकड़ी पकड़े जाने के बाद विभाग हरकत में आया है। टीम गठित कर स्टालों की जांच के साथ ही तस्करों पर भी नजर रखी जा रही है।
नेपाल सीमा से लगे इस क्षेत्र को वन संपदा का खजाना माना जाता है। वन संपदा की खान होने से खनन और लकड़ी कारोबार से सरकार को मोटा राजस्व मिलता है। लेकिन सरकार की कमाई पर तस्करों की सेंधमारी भी खूब होती है। वर्षाकाल के लिए खनन थमा तो अब लकड़ी तस्करों का गिरोह सक्रिय हो गया है, जिनकी नजर खैर के जंगल पर है। सूत्रों के मुताबिक बरेली, पीलीभीत के कुछ तस्करों ने यहां डेरा जमा लिया है, जिनका मकसद वैधानिक कारोबार कम और खैर लकड़ी की तस्करी करना अधिक है। टनकपुर, बनबसा से लगे तराई पूर्वी वन प्रभाग के खटीमा रेंज, हल्द्वानी वन प्रभाग शारदा रेंज और चम्पावत वन प्रभाग के बूम रेंज व दोगाड़ी रेंज में साल और शीशम के अलावा बेशकीमती खैर के बड़े जंगल हैं, जिन पर तस्करों की निगाह लगी है। खासकर बनबसा के चंदनी से लगे खटीमा रेंज के जंगल में तस्कर हर दिन खैर के पेड़ों को काटकर कर ठिकाने लगा रहे हैं। शारदा रेंज के रेंजर महेश बिष्ट का कहना है कि लकड़ी तस्करों की धरपकड़ के प्रयास चल रहे हैं। खैर लकड़ी की तस्करी में लिप्त बाहर के कुछ तस्करों के क्षेत्र में डेरा जमाने की सूचना मिली है। जिसके बाद लकड़ी टालों की जांच और तस्करों पर नजर रखने के लिए विभाग की टीम गठित की गई है।

