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उत्तराखंड : प्रशासकों पर छिड़ा घमासान, सचिव ने गठित की 3 सदस्यीय कमेटी, …तो अब स्टडी से निकलेगा समाधान

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देहरादून। उत्तराखंड में नगर निकायों की तरह त्रिस्तरीय पंचायतों (हरिद्वार जिला छोड़) का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक तैनात कर दिए गए हैं। पंचायती राज सचिव की ओर जारी आदेशों में ग्राम और क्षेत्र पंचायत में अधिकारियों को प्रशासक बनाया गया, तो वहीं जिला पंचायतों में निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्षों को ही प्रशासक की जिम्मेदारी दी गई। इसके बाद से ही क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष और ग्राम प्रधान इस बात की मांग कर रहे हैं कि जिला पंचायत की तरह ही उन्हें भी बतौर प्रशासक नियुक्त किया जाए। जिसको देखते हुए पंचायती राज सचिव ने प्रशासक नियुक्त की व्यवस्था का अध्ययन करने और नियमानुसार कार्यवाही किए जाने को लेकर कमेटी गठित कर दी है।

इस संबंध ने पंचायती राज सचिव ने बुधवार को आदेश भी जारी कर दिए हैं। जारी आदेश के अनुसार पंचायती राज विभाग के अपर सचिव युगल किशोर पंत की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। कमेटी में पंचायती राज विभाग की निदेशक निधि यादव और पंचायती राज निर्देशालय की संयुक्त सचिव हिमानी जोशी को बतौर सदस्य नामित किया गया है। जारी आदेश के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत का कार्यकाल खत्म होने के बाद उत्तराखंड के सभी जिलों (हरिद्वार जिले को छोड़कर) में प्रशासक की नियुक्ति की गई है, जिसके चलते प्रमुख और क्षेत्र पंचायत संघ उत्तराखंड ने तीन दिसंबर को और प्रदेश प्रधान संगठन उत्तराखंड ने 4 दिसंबर को ज्ञापन सौंपा था।

इसके बाद ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले निर्देशों के बाद उत्तराखंड पंचायतीराज अधिनियम-2016 के सुसंगत प्रावधानों के तहत क्षेत्र पंचायत/ग्राम पंचायतों में प्रशासक की तैनाती की व्यवस्था के अध्ययन और नियमानुसार कार्रवाही के लिए समिति का गठन किया गया है। गठित समिति 9 दिसंबर तक अध्ययन कर अपना रिपोर्ट सौपेगी। इसके बाद आगे की कार्रवाही की जाएगी।

बता दें कि पंचायती राज सचिव ने 26 नवंबर को आदेश जारी कर ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी को बतौर प्रशासक और क्षेत्र पंचायतों में उपजिलाधिकारी को बतौर प्रशासक नियुक्त किया है। इसके बाद 30 नवंबर को पंचायती राज सचिव ने जिला पंचायतों में निवर्तमान जिला पंचायतों को ही बतौर प्रशासक नियुक्त करने का आदेश जारी किया था। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्षों को बतौर प्रशासक नामित करने के बाद से ही क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष और ग्राम प्रधान इस बात की मांग कर रहे हैं कि उनको भी बतौर प्रशासक नियुक्त किया जाए।