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उत्तराखंड : फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र प्रकरण, 5 सालों में बने सभी दस्तावेजों की होगी जांच

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उत्तराखंड के नैनीताल जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आ रहा है, जहां पर फर्जी तरीके से बाहरी लोगों का स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाया गया है। इस पूरे मामले का भंडाफोड़ कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की ओर से किया गया। मामले के सामने आते ही पुलिस प्रशासन की टीम सक्रिय हो गई है, वहीं डीएम ललित मोहन रयाल ने सभी उप जिलाधिकारी को जांच के निर्देश दिए हैं।

मालूम हो कि बीते 13 नवंबर को नैनीताल जिले के हल्द्वानी में कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत की ओर से बनभूलपुरा की जांच की गई थी। जिसमें उन्होंने पाया कि अरायजनवीस फैजान मिकरानी ने गलत तरीके से किसी और के दस्तावेज से बाहरी लोगों के स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाए। इसके बाद से पूरे पुलिस प्रशासन समेत अन्य लोगों में हड़कंप मच गया। वहीं पुलिस प्रशासन की टीम सक्रिय हो गई। बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले का संज्ञान लेते हुए फर्जी दस्तावेज बनाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए।

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इस मामले पर मुख्यमंत्री ने गृह सचिव शैलेश बगौली को नैनीताल जिले के अलावा हरिद्वार उधम सिंह नगर, देहरादून में सख्ती से जांच करने के आदेश दिए। नैनीताल के डीएम ललित मोहन रयाल ने बताया कि 5 वर्षों में बने दस्तावेजों की गहनता से जांच की जाए, जिन क्षेत्रों में अधिक संख्या में प्रमाण पत्र बनते हैं उन स्थानों की पहले जांच हो। जिसके बाद से जांच शुरू कर दी गई है।