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उत्तराखंड : पुलिस के लिए पहेली बनी रिवाल्वर, 23 साल बाद दर्ज किया गया मुकदमा

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वर्ष 1999 में दर्ज हत्या की कोशिश के मुकदमे में बरामद रिवाल्वर के गायब होने का मामला पुलिस के लिए एक पहेली बनकर रह गया है। उस समय बैलेस्टिक जांच के लिए पुलिस लाइन से रिवाल्वर रिसीव करने वाले एसआई 80 वर्ष के हो चुके हैं। उन्हें कुछ याद नहीं है। घटना के दौरान के अभिलेख आमद एवं रवानगी जीडी से जुड़े रिकॉर्ड 2005 में ही नष्ट किए जा चुके हैं। ऐसे में पुलिस की इस उम्मीद पर भी पानी फिर गया। मामले में देहरादून से बुलंदशहर तक पत्राचार हुआ, लेकिन उसका नतीजा भी सिफर रहा। अब जांच अधिकारी की सिफारिश पर इस मामले में 23 साल बाद अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। जानकारी के मुताबिक, पटेलनगर थाने में दर्ज मुकदमे से संबंधित एक प्वाइंट 38 रिवाल्वर को बैलेस्टिक एक्सपर्ट की जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा भेजा गया था। 16 नवंबर 1999 को एसआई जसवीर सिंह ने देहरादून पुलिस लाइन के शस्त्रागार से रिवाल्वर प्राप्त किया था। इसके बाद रिवाल्वर का कुछ पता नहीं चला तो पुलिस लाइन की ओर से इस संबंध में पटेलनगर कोतवाली से पत्राचार किया गया, लेकिन यहां से कोई जानकारी नहीं दी गई। ऐसे में रिवाल्वर की बरामदगी के लिए वर्ष 2020 में एक वाहक विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा भेजा गया, लेकिन वहां से भी स्पष्ट सूचना नहीं मिली। इसके बाद मामले की जांच एसएसपी ने एसपी सिटी को सौंपी थी।

वर्ष 2005 में नष्ट किए जा चुके थे रिकॉर्ड
एसपी सिटी ने रिवाल्वर प्राप्त करने वाले उपनिरीक्षक के बयान दर्ज करने के लिए बुलंदशहर के एसएसपी से पत्राचार किया। क्योंकि, वह मूल रूप से बुलंदशहर निवासी हैं। जसवीर सिंह ने अवगत कराया कि वह सेवानिवृत्त हो गए हैं और उनकी आयु 80 वर्ष हो चुकी है। इसलिए इस विषय में उन्हें कुछ याद नहीं है। उन्होंने प्रकरण से संबंधित अभिलेख आमद एवं रवानगी जीडी का अवलोकन कराकर बयान दर्ज कराने का अनुरोध किया था, लेकिन ये रिकॉर्ड वर्ष 2005 में नष्ट किए जा चुके थे। इसके बाद जांच अधिकारी ने मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। एसएसपी के आदेश पर 23 साल बाद पुलिस लाइन के प्रतिसार निरीक्षक जगदीश चंद्र पंत की तहरीर रक नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।