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उत्तराखंड : पुलिस कस्टडी में युवक की मौत मामले में तीन पुलिसकर्मी दोषमुक्त, एक को हुई सजा

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हल्द्वानी। साल 2004 में हल्द्वानी की एक महिला ने बरेली निवासी पति और अपने अन्य ससुरालियों पर दहेज एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस बरेली से पति और सास को गिरफ्तार कर हल्द्वानी लाई थी। पुलिस कस्टडी में महिला के पति की मौत हो गई थी। मामले में चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोर्ट में केस दायर किया गया था। इनमें तीन को दोषमुक्त कर दिया गया जबकि एक को तीन माह की सजा सुनाई गई।
अधिवक्ता राजन मेहरा ने बताया है कि हल्द्वानी निवासी फरहा की शादी 20 अक्तूबर 2003 को बरेली निवासी अहमद से हुई थी। पति-पत्नी के विवाद के चलते फरहा ने पति समेत अन्य ससुरालियों पर दहेज उत्पीड़न के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में 10 जून 2004 को कोतवाली की महिला दरोगा और दो सिपाही बरेली स्थित इज्जतनगर थाना पुलिस के सहयोग से पति अहमद और उसकी मां को गिरफ्तार कर हल्द्वानी ले आए थे। हवालात में रखने से पहले सिपाही जय किशन ने अहमद की तलाशी ली थी। हालांकि पुलिस गिरफ्त में आने के करीब ढाई घंटे बाद अहमद की तबियत अचानक बिगड़ गई थी।
पुलिस जब अहमद को लेकर अस्पताल पहुंची तो वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद अहमद के परिजनों ने महिला दरोगा पुष्पा बिष्ट, सिपाही धीरेंद्र सिंह, दीवानी सिंह और जय किशन के खिलाफ मारपीट और अहमद की हत्या करने का आरोप लगाया था। जून 2010 में मामला कोर्ट पहुंचा और मार्च 2015 में पुलिस के जुटाए साक्ष्य न्यायालय में पेश किए गए। वहीं मामले में 17 जून को सिविल जज कोर्ट की न्यायाधीश ज्योति बाला ने दरोगा पुष्पा बिष्ट, सिपाही धीरेंद्र सिंह और दीवानी सिंह को दोषमुक्त करार दिया। वहीं सिपाही जय किशन को तलाशी के दौरान लापरवाही बरतने के जुर्म में तीन माह की सजा सुनाई।

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