UTU के VC ने पीसी में दिए गंभीर आरोपों के जवाब, बोले- ये शिक्षण संस्थानों की नींव कमजोर करने की साजिश

देहरादून। उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी पर लगे अनियमिताओं के आरोपों पर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने तथ्यों के साथ सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह शिक्षण संस्थानों की नींव कमजोर करने का घिनौना प्रयास है।


उत्तराखंड के एकमात्र सरकारी वीर माधव सिंह भंडारी तकनीकी विश्वविद्यालय में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। विश्वविद्यालय पर आए दिन कुछ ना कुछ आरोप लग रहे हैं। कभी एग्जाम में गड़बड़ी के आरोप, तो कभी यूनिवर्सिटी के गेट पर दूसरे कॉलेज के छात्र हंगामा कर रहे हैं। लगातार बिगड़ रहे इस माहौल को देखते हुए आखिरकार विश्वविद्यालय के कुलपति ओंकार सिंह मीडिया के सामने आए। उन्होंने तमाम आरोपों का खंडन किया। तथ्यों के साथ बताया कि किस तरह से विश्वविद्यालय को बदनाम किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के वॉइस चांसलर प्रोफेसर ओंकार सिंह ने कहा कि ERP सिस्टम किसी भी शिक्षण संस्थान के लिए बेहद जरूरी है। इस सिस्टम के जरिए स्टूडेंट का डेटाबेस तैयार किया जाता है। एडमिशन से लेकर के एग्जाम और रिजल्ट तक की सभी प्रक्रिया ERP सिस्टम के माध्यम से की जाती है। विश्वविद्यालय ने मात्र 8 लोगों के स्थाई पदों के मैनफोर्स के साथ इस सिस्टम को खड़ा किया है। मैन्युअल प्रक्रिया में आने वाले खर्चे से कम इस सिस्टम पर खर्च आ रहा है। जिस भी व्यक्ति को हिसाब चाहिए कि इस सिस्टम के बाद खर्च कम आया है या ज्यादा वह प्रमाण के साथ कह सकते हैं कि इस सिस्टम को लगाने के बाद विश्वविद्यालय ने शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया है। कई सारे ऑपरेशन को अंजाम देने वाली इस प्रक्रिया से सिस्टम में मैन्युअल प्रक्रिया में आने वाले खर्चों से कम खर्च आता है।

आरोप नंबर 2- विश्वविद्यालय ने समर्थ पोर्टल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया, जो कि निशुल्क है और सरकारी
वीसी का जवाब- उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति ओंकार सिंह ने बताया कि समर्थ पोर्टल केवल रजिस्ट्रेशन मात्र तक सीमित है। जिस ईआरपी सिस्टम से इसकी तुलना की जा रही है, वह बिल्कुल अलग है। ईआरपी सिस्टम स्टूडेंट को एंड टू एंड सॉल्यूशन देता है। इसके मुकाबले समर्थ पोर्टल को लेकर कई विश्वविद्यालय ने भरोसा नहीं जताया है। उसमें कई सारी खामियां हैं, लेकिन जिस सिस्टम को यूनिवर्सिटी इस्तेमाल कर रही है, वह बेहद एफिशिएंसी और मल्टीटास्किंग है। इसमें लगातार सुधार किया जा रहा है।

आरोप नंबर 3- विश्वविद्यालय में काम कर रही ERP कंपनी से विश्वविद्यालय के कुलपति के संबंध का आरोप
वीसी का जवाब- इस आरोप पर विश्वविद्यालय के कुलपति ओंकार सिंह का कहना है कि विश्वविद्यालय में काम कर रही ईआरपी कंपनी से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि जिस कॉलेज में वह पहले पोस्टेड थे, वहां पर भी यह कंपनी काम करती है, जिसे उन्होंने सफेद झूठ बताया। उन्होंने कहा कि इस मामले में जिसको थोड़ा भी शक हो, तो वह कंपनी की जांच कर ले। उनका कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कंपनी पूरे टेंडर सिस्टम को फॉलो करते हुए काम कर रही है, जिसके हर एक दस्तावेज कॉलेज में मौजूद हैं। कंपनी द्वारा कॉलेज को शपथ पत्र दिया गया है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है।
आरोप नंबर 4- यूनिवर्सिटी पर पैसा देकर नंबर बढ़ाने का आरोप
वीसी का जवाब- इस आरोप पर उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ओंकार सिंह ने कहा कि यह सिस्टम की त्रुटि थी। पता चलते ही सही कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि दरअसल यह मामला एक पुराने स्टूडेंट का है, जिसका रिजल्ट त्रुटिवश बन चुका था। बाद में पता लगा कि उसका बैक पेपर भी होना है। इसी वजह से उसको रिजल्ट मिल गया था, जबकि उसने खुद ही बैक पेपर भरा हुआ था। हालांकि इस मामले में शिकायत करने वाला व्यक्ति अज्ञात निकला और इससे साफ पता चलता है कि यह केवल विश्वविद्यालय को बदनाम करने के लिए प्रसारित किया गया था।
उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर ओंकार सिंह ने कहा कि-
जब से मैंने यूनिवर्सिटी में पदभार संभाला है, लगातार यूनिवर्सिटी को सीमित मानव संसाधन के साथ एफिशिएंसी और ट्रांसपेरेंट बनाने का काम किया है। कई पुराने मैन्युअल कार्यों को ऑनलाइन किया गया है। जहां पर गड़बड़ी की आशंकाएं रहती थी और पूर्व में ऐसा देखा भी गया था कि पारदर्शिता न होने की वजह से अक्सर अनियमिताएं होती थी, उन्हें एक सिरे से खत्म करने का काम किया गया है। एक बेहद लेटेस्ट और प्रभावी सिस्टम को यूनिवर्सिटी में लागू किया गया है। -ओंकार सिंह, वीसी, यूटीयू-
यूटीयू के वीसी ओंकार सिंह ने कहा कि अब उनका कार्यकाल पूरा हो रहा है। नए वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन हो चुका है। लिहाजा उनके खिलाफ इस तरह का माहौल तैयार किया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है। उन्होंने कई बार अपने कार्यकाल पूरे किए और जब कोई ठोस वजह नहीं मिलती है, तो इस तरह का प्रोपेगेंडा गढ़ा जाता है। उन्होंने कहा कि ईआरपी सिस्टम नॉन अटेंडिंग परंपरा के पक्षधरों के लिए समस्या हो सकती है। नॉन अटेंडिंग सिस्टम आज हमारे एजुकेशन सिस्टम के लिए उस नासूर की तरह है, जो कि देश का भविष्य खराब कर रहा है।
उत्तराखंड में अभी एक ही मुख्य सरकारी तकनीकी विश्वविद्यालय है। इसका नाम वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Uttarakhand Technical University) है। यह विश्वविद्यालय देहरादून में स्थित है। ये उत्तराखंड में तकनीकी शिक्षा (Technical Education) के लिए एक प्रमुख संस्थान है। उत्तराखंड में इस तकनीकी विश्वविद्यालय के कुछ अन्य कैंपस भी हैं। ये कैंपस देहरादून, टिहरी, टनकपुर, गोपेश्वर, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी में स्थित हैं।
