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उत्तराखंड के आईएएस अधिकारी राम विलास यादव के सात ठिकानों में विजिलेंस की छापेमारी

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IAS अधिकारी रामविलास यादव के कई ठिकानों पर विजलेंस की रेड, सपा सरकार के जाते ही UP से उत्तराखंड करा ली थी तैनाती

आय से अधिक संपत्ति के मामले में घिरे आइएएस रामविलास यादव पर उत्तराखंड विजिलेंस की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रामविलास यादव के लखनऊ, देहरादून स्थित सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर रही है। आपको बता दे कि उनके खिलाफ 19 अप्रैल को मुकदमा दर्ज किया गया था। उन पर आय से 500 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। बता दें कि आईएएस रामविलास यादव 30 जून को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। आइएएस रामविलास यादव 2019 में यूपी से उत्तराखंड आए थे। यहां शासन ने नौ जनवरी 2019 को उनके खिलाफ विजिलेंस में खुली जांच के आदेश दिए थे। विजिलेंस टीम ने आइएएस यादव को पूछताछ के लिए बुलाना चाहा, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद आइएएस का पक्ष जानने के लिए तीन सदस्यीय हाईपावर कमेटी बनाई गई, पर यादव ने उसे भी गुमराह किया।
सपा के करीबी रहे आईएएस डॉ. रामविलास यादव के पुरनिया स्थित दिलकश विहार रानी कोठी सीतापुर रोड लखनऊ, गुड़म्बा, कुर्सी रोड स्थित जनता विद्यालय में विजलेंस उत्तराखंड ने छापे मारी की है। छापेमारी की कार्रवाई अभी चल रही है। इसके अलावा प्रदेश के गाजीपुर जिला, गाजियाबाद जिला व उत्तराखंड के ठिकानों पर भी विजलेंस ने छापेमारी की है। राम विलास के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस है। रामविलास पूर्व में सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण और एडिशन डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं। रामविलास वर्तमान में ग्राम विकास विभाग उत्तराखंड में सचिव के पद पर कार्यरत हैं। सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कुमार मिश्रा की शिकायत पर विजलेंस उत्तराखंड ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

सपा के थे करीबी, सरकार बदलने पर चले गए थे उत्तराखंड
यूपी में तैनात रहे आईएएस अधिकारी राम विलास यादव पूर्व सपा की सरकार के काफी करीबी थे। रामविलास पूर्व में सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण और एडिशन डायरेक्टर मंडी परिषद रह चुके हैं। उन्होंने लखनऊ में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। प्रदेश में जब सरकार बदली तो का राम विलास ने अपनी तैनाती उत्तराखंड करा ली लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार को उनकी अनियमितताओं के बारे में जानकारी मिल गई, जिसके बाद उत्तर प्रदेश शासन ने ही उत्तराखंड में आईएएस अधिकारी के खिलाफ जांच कराने के लिए कहा। इस संबंध में उन्होंने पर्याप्त दस्तावेज भी उत्तराखंड सरकार को भेजे। जांच पूरी होने पर अनियमितताएं और आय से अधिक संपत्ति का मामला सही पाया गया। जिस पर विजिलेंस ने जांच शुरू की तो यादव ने सहयोग नहीं किया। उन्होंने शासन से भी कहा कि विजिलेंस उनका पक्ष नहीं सुन रही है।