देशनवीनतम

समंदर में दुश्मन को करेगा आक्रांत, महाबली आइएनएस विक्रांत, ब्रह्मोस भी हो सकेगी तैनात

ख़बर शेयर करें -

भारत का पहला विमानवाहक पोत आइएनएस ‘विक्रांत‘ नौसेना में शामिल हो गया है। पीएम मोदी ने केरल के समुंद्री तट पर उसे देश को समर्पित किया। खास बात है कि इस उपलब्धि के साथ ही भारत उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया है, जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं। फिलहाल, इन देशों की सूची में अमेरिका, रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और चीन का नाम शामिल है। इतना ही नहीं यह दुनिया का 7वां सबसे बड़े कैरियर होगा। अब इसके बारे में विस्तार से समझते हैं।

आकार, प्रकार और रफ्तार
20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ आइएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इस लिहाज से इसके फ्लाइट डेक का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर हो जाता है। यह वाहक एक घंटे में 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7 हजार 500 नॉटिकल मील (करीब 14 हजार किमी) की दूरी तय कर सकता है। भारत के समुद्री इतिहास में देश में तैयार हुआ यह पहला इतना विशाल जहाज है। खास बात है कि इसका नाम भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर ही रखा गया है, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ हुए 1971 के युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

क्रू के लिए कैसी है व्यवस्था, महिलाओं के लिए खास इंतजाम
इस विशाल जहाज में कुल 18 फ्लोर हैं। जिनमें 2400 कंपार्टमेंट्स का निर्माण हुआ है। यहां 1600 स्ट्रॉन्ग क्रू रह सकते हैं। इसमें महिलाओं की जरूरतों के हिसाब से खास कैबिन बनाए गए हैं। खास बात है कि विक्रांत पर एक आधुनिक सुविधाओं से लैस एक किचन है। जिसमें मौजूद एक यूनिट प्रति घंटा 3 हजार रोटियां तैयार कर सकती है। इसके मेडिकल कॉम्प्लैक्स में आधुनिक ऑपरेशन थिएटर के साथ 16 बिस्तर मौजूद हैं। साथ ही यहां फिजियोथैरेपी क्लीनिक, आईसीयू, पैथोलॉजी, सीटी स्कैनर और एक्स-रे मशीनों के साथ रेडियोलॉजी विंग, डेंटल और आइसोलेशन सुविधाएं मौजूद हैं।

कितने विमानों की है क्षमता
आइएनएस विक्रांत पर 30 विमानों का समूह रह सकता है। मिग-29 के लड़ाकू विमान, कामोव-31 हेलीकॉप्टर्स, एमएच-60 आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स और हल्के लड़ाकू विमान शामिल हैं। समुद्र में दुश्मनों को पटखनी देने के लिए इस कैरियर पर ब्रह्मोस मिसाइल भी तैनात हो सकेगी। यह एक मिडियम रेंज मिसाइल है, जिसे सबमरीन, जहाज, कैरियर या धरती से भी लॉन्च किया जा सकता है।

निर्माण की कहानी और भविष्य की तैयारी
नौसेना ने जानकारी दी है कि इसके निर्माण में 76 फीसदी स्वदेशी चीजों का इस्तेमाल हुआ है। 20 हजार करोड़ रुपये में आइएनएस विक्रांत को तैयार करने में 2 हजार सीएसएल कर्मी और अप्रत्यक्ष रूप से 13 हजार अन्य लोग भी शामिल रहे। आइएनएस विक्रांत के फ्लाइट ट्रायल्स नवंबर तक शुरू हो जाएंगे और यह कैरियर साल 2023 के मध्य तक संचालन के लिए पूरी तरह तैयार होगा।

सुरक्षा के क्या हैं इंतजाम
खबर है कि कैरियर एंटी सबमरीन वॉरफेयर, एंटी सर्फेस, एंटी एयर वॉरफेयर जैसे कई आधुनिक सिस्टम से लैस है। इनकी मदद से यह आसपास आने वाले खतरों को आसानी से भांप सकता है और उनका मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।