चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप के बाद नवजात शिशु को मिली मां की गोद, हिन्दुवादी संगठनों के हंगामे के बाद उजागर हुआ मामला
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चम्पावत। तीन दिन पहले लोहाघाट अस्पताल में जन्म लेने के बाद से मां की गोद को तरस रहे शिशु को चाइल्ड लाइन के हस्तक्षेप के बाद मां की गोद मिल सकी है। किन्हीं कारणों के चलते नवजात को अस्पताल में छोड़ गई मां की चाइल्ड लाइन की टीम ने काउंसलिंग की और उसे काफी समझाया। जिसके बाद वह बच्चे को अपने साथ ले जाने के लिए राजी हो गई। गौरतलब है कि बाराकोट क्षेत्र की एक महिला ने तीन दिन पहले सीएचसी लोहाघाट में शिशु को जन्म दिया। महिला शिशु को जन्म देने के बाद किन्हीं कारणों के चलते उसे अपने साथ ले जाने से इन्कार करते हुए चली गई। तब सीएचसी लोहाघाट के सीएमएस ने उसे अपने संरक्षण में रख लिया। हो हल्ला हुआ तो सीएमएस ने एसडीएम के यहां से एक संरक्षण पत्र भी जारी करवा लिया। सीएमएस के दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने के चलते हिंदुवादी संगठनों ने जमकर हंगामा किया। उन्होंने एसडीएम द्वारा आनन फानन में संरक्षण पत्र जारी किए जाने पर भी रोष जताते हुए सवाल उठाए। कुछ लोगों ने इस मामले की शिकायत डीएम से भी की। मांग यह भी उठाई गई है कि इससे पहले भी कुछ बच्चे संरक्षण में लिए गए हैं। आखिर वह कहां हैं और उनको गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया पूरी हुई है कि नहीं। अब देखना होगा कि प्रशासन इसमें आगे क्या कार्यवाही करता है। जब मामला चाइल्ड हैल्प लाइन के संज्ञान में आया तो टीम ने नवजात शिशु की मां से मुलाकात की। उनकी काउंसलिंग की गई। समाजसेवा के कार्यों से जुड़े लोगों के माध्य से उन्हें समझाया गया। तब जाकर शिशु की मां बच्चे को अपने साथ ले जाने को तैयार हुई। बुधवार को नवजात को उसकी मां अपने साथ ले गई और चाइल्ड लाइन के प्रयायों से एक नवजात को मां की गोद नसीब हो सकी। इस नेक कार्य में चाइल्डलाइन की समन्वयक संतोषी, टीम मेंबर जानकी राणा, ललिता बोहरा, सीमा देवी, काउंसलर पूजा लोहनी के साथ ही समाजसेवी सतीश पांडेय, लड़ीधूरा शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मंच के अध्यक्ष नागेंद्र जोशी आदि का सराहनीय सहयोग रहा।