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मां पूर्णागिरि मेला # आयोजन को लेकर असमंजस बरकार

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टनकपुर। होली के अगले दिन से होने वाले मां पूर्णागिरि धाम के सुप्रसिद्ध मेले के आयोजन और व्यवस्था को लेकर असमंजस बरकरार है। आयोजक संस्था जिला पंचायत और प्रशासन के बीच टकराव थम नहीं रहा है। मेले की विभिन्न मदों से मिलने वाली आय 2011 से पहले की तरह जिला पंचायत कोष में जमा न कराने पर मेले से हाथ खींचने का जिला पंचायत पहले ही ऐलान कर चुकी है। मेला व्यवस्था के लिए बाल मुंडन और पार्किंग स्थल के ठेके 19 फरवरी को मंदिर समिति कराएगी। मेला मजिस्ट्रेट टनकपुर के एसडीएम हिमांशु कफल्टिया का कहना है कि बाल मुंडन के अलावा बूम और ठुलीगाड़-भैरव मंदिर की पार्किंग की नीलामी होगी। जिला पंचायत ने नौ फरवरी को बाल मुंडन की नीलामी स्थगित न करने पर अदालत जाने की चेतावनी दी थी। वहीं अब जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल आज डीएम से मुलाकात करेगा। अध्यक्ष का कहना है कि मेले से होने वाली आय पंचायत के खाते में जमा करने का 2019 में प्रस्ताव भी पारित हुआ था। पंचायत का कहना है कि 2010 से पूर्व तक पूर्णागिरि मेले में पार्किंग, बाल मुंडन, तहबाजारी, साइकिल स्टैंड आदि के ठेकों से होने वाली आय जिला पंचायत के खाते में जमा होती थी, लेकिन 2010 से यह राशि पंचायत के बजाय मेला समिति के खाते में जमा हो रही है। इसी आमदनी से पंचायत मेले में आने वाले खर्च में लगाती थी, जबकि अब पंचायत को अपनी मद से खर्च का बड़ा हिस्सा लगाना होता है।

आरक्षित वन भूमि को लीज पर देने की कवायद तेज
चम्पावत। मां पूर्णागिरि धाम के मेले के संचालन के लिए जिला पंचायत ने आरक्षित वन भूमि वाले मेला क्षेत्र में वन भूमि को लीज पर लेने की कवायद तेज कर दी है। लीज की पत्रावली में वन विभाग का अनापत्ति प्रमाणपत्र न मिल पाने से तीन साल से मामला लटका है। पिछले सप्ताह वन विभाग के अधिकारियों ने आरक्षित वन क्षेत्र में मुआयना किया है। अमीन के जरिये जमीन की पैमाइश करा आगे की कार्रवाई की जाएगी। बूम से मुख्य मंदिर तक का 12 किलोमीटर का पूर्णागिरि मेला क्षेत्र का 95 प्रतिशत वन क्षेत्र है। आरक्षित वन क्षेत्र में गैर वानिकी गतिविधियों पर 2010 से लगी रोक से पंचायत को मेले के आयोजन में दिक्कतेें आ रही हैं। इसके उपाय के रूप में जिला पंचायत ने 2018 में पूर्णागिरि क्षेत्र की वन भूमि को लीज पर लेने के लिए प्रस्ताव तैयार किया। अपर मुख्य अधिकारी राजेश कुमार ने कहा है कि पंचायत ने 0.958 हेक्टेयर क्षेत्र वन भूमि को 99 साल के लीज पर लेने का प्रस्ताव तैयार किया था। इस जमीन का उपयोग अस्थायी यात्री शेड, पार्किंग, सरकारी कार्यालय, आवासीय व्यवस्था, स्वास्थ्य शिविर, अस्थायी थाना, फायर स्टेशन आदि के लिए किया जाएगा। लीज में जमीन मिलने से श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिल सकेंगी।

पूर्णागिरि का मेला 2009 तक जिला पंचायत कराती थी, लेकिन आरक्षित वन क्षेत्र पर गैर वानिकी कार्य न कराने संबंधी अदालती आदेश के चलते मेला समिति व्यवस्थाओं का संचालन करती है। जिला पंचायत की आपत्ति और मेले की व्यवस्थाओं के लिए किए जा रहे कदमों से नवागत डीएम को जानकारी देकर उनसे मार्गदर्शन लेकर आगे का कदम उठाया जाएगा। हिमांशु कफल्टिया, एसडीएम, टनकपुर

नवीन सिंह देउपा

नवीन सिंह देउपा सम्पादक चम्पावत खबर प्रधान कार्यालय :- देउपा स्टेट, चम्पावत, उत्तराखंड