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उत्तरकाशी हिमस्खलन Uttarkashi Avalanche: रस्सी से न बंधे होने से बच गई रोहित की जान, लौटे प्रशिक्षु ने सुनाई आपबीती

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पर्वतारोहण में इस्तेमाल होने वाली रस्सी से बंधे न होने के कारण रोहित भट्ट की जान बच गई। निम के एडवांस माउंटेनियरिंग कोर्स के प्रशिक्षुओं में टिहरी जनपद का रोहित भट्ट भी शामिल था। वह भी द्रौपदी डांडा-2 पर्वत पर आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आया था। हादसे का शिकार हुए दल के ज्यादातर सदस्य एक ही रस्सी से बंधे थे।
टिहरी जनपद के भिलंगना ब्लाक के पाली लगाकोटी गांव निवासी रोहित भट्ट (21) को गर्दन में गंभीर चोट के इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से उत्तरकाशी से एम्स ऋषिकेश भेजा गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इससे पूर्व जिला अस्पताल में आपबीती सुनाते हुए रोहित ने बताया कि उन्होंने तड़के करीब साढ़े तीन चार बजे चढ़ाई शुरू की थी। चोटी से करीब 200 मीटर की दूरी पर बर्फीले तूफान ने उन्हें चपेट में ले लिया। दल के अधिकांश सदस्य 50 से 60 फीट गहरे क्रैवास (बर्फीली खाई) में जा गिरे। इनमें से ज्यादातर एक ही रस्सी से बंधे (एंकर) थे। दो प्रशिक्षु छिटकने से बच गए। बकौल रोहित उसने खुद को रस्सी से एंकर नहीं किया हुआ था, इस कारण उसे बचा लिया गया।

साथियों की जान बचाने के लिए पिता ने दी शाबाशी
जिला अस्पताल उत्तरकाशी पहुंचे रोहित के पिता जगदंबा भट्ट ने बताया कि आज उनके बड़े बेटे दीपक भट्ट की शादी है, लेकिन शादी छोड़ वह हादसे में जिंदा बचकर आए अपने जांबाज बेटे को लेने पहुंचे हैं। उन्होंने रोहित का साहस बढ़ाया। साथ ही हादसे के बाद अन्य साथियों को बचाने के लिए उसे शाबाशी भी दी। रोहित ने बताया कि उसका लक्ष्य माउंट एवरेस्ट फतह करना है। बताया कि 27 अक्तूबर को उसे माउंट एल्ब्रूश पर्वत पर आरोहण के लिए भी रवाना होना था, लेकिन इस हादसे में चोटिल होने के चलते अब यह मुमकिन नहीं होगा।

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नवीन सिंह देउपा

नवीन सिंह देउपा सम्पादक चम्पावत खबर प्रधान कार्यालय :- देउपा स्टेट, चम्पावत, उत्तराखंड