उत्तराखंड क्रिकेट में करोड़ों की धांधली के आरोप, तीन पदाधिकारियों का आम सभा के बहिष्कार का ऐलान
उत्तराखंड में क्रिकेट को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले मुख्य कोच वसिम जाफर का इस्तीफा, फिर कई संगठनों की ओर से धांधली की शिकायतों के बीच खेल मंत्री का घोटालों की सचिव स्तर के अधिकारी से जांच का ऐलान किया गया था। अब क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के पदाधिकारी ही अध्यक्ष और सचिव के खिलाफ बगावत पर उतर आए हैं। आरोप है कि अध्यक्ष और सचिव ने कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर के बगैर ही 4.50 करोड़ का भुगतान कर दिया। ताजा आरोप एसोसिएशन की आम सभा से दो दिन पहले लगा है। एसोसिएशन की आम सभा 21 मार्च को है। सीएयू के ही तीन सदस्यों ओपी सूदी, रोहित चौहान और तेजेन्द्र सिंह रावत ने आज रजिस्ट्रार (चिट एंड फर्म सोसायटीज) को पत्र सौंप कर सारे गंभीर आरोपों की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की। पत्र में साफ लिखा है अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला और सचिव महिम वर्मा शुरू से ही अनियमितताएँ कर रहे हैं। महिम 23-10-19 से 7-3-20 तक माहिम BCCI में उपाध्यक्ष की कुर्सी पर थे। तब सचिव के सारे अधिकार गुनसोला ने खुद ही ले लिए। इस अवधि में अध्यक्ष ने 4.50 करोड़ रुपए के भुगतान खुद ही कर दिए। इसके लिए न कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी के दस्तखत पत्रवालियों में कराने की जरूरत महसूस की न ही प्रबंध कार्यकारिणी की ही मंजूरी ली।
संस्था के नियमावली के मुताबिक बिना कोषाध्यक्ष के दस्तखत के कोई भी वित्तीय लेन-देन नहीं किया जा सकता है। अध्यक्ष-सचिव इसका घोर उल्लंघन कर रहे हैं। संस्था में किसी भी नियुक्ति का अधिकार एपेक्स काउंसिल के पास है। महिम ने CEO-कोच-मैनेजर-फिजियो और नया पदों पर नियुक्तियाँ खुद ही कर दी। इसके लिए किसी भी किस्म की मंजूरी कहीं से नहीं ली गई। माहिम ने कई नियुक्तियां तब भी कीं, जब वह सचिव भी नहीं थे। सह सचिव थे। उनको नियुक्ति करने का अधिकार कहीं से नहीं मिला था। महिम पर निजी जानकारियाँ रजिस्ट्रार को देते वक्त भी जालसाजी का आरोप रजिस्ट्रार को दिए पत्र में लगाया गया है।
इसके मुताबिक माहिम उपनल के ठेका कर्मी थे। उन्होंने रजिस्ट्रार कार्यालय में जमा दस्तावेज में खुद को राजपत्रित अधिकारी दर्शाया है। ये बात अलग है कि BCCI-CAU में कोई भी सरकारी कर्मचारी सदस्य तक नहीं हो सकता। महिम सदस्य भी नहीं बन सकते हैं। गुनसोला-महिम पर मिलीभगत कर मनमाने फैसले करने के आरोप लगाए गए हैं। शिकायती पत्र में कहा गया है कि संस्था में हर फैसले मौखिक रूप से किए जा रहे हैं। कोई भी कार्यवाही पुस्तक-रजिस्टर में दर्ज नहीं की जा रही। आय-व्यय का हिसाब तक Deputy Registrar कार्यालय में जमा नहीं कराए गए हैं। 3 साल हो गए, आम सभा नहीं बुलाई गई।
21 मार्च को प्रस्तावित आम सभा को अवैध करार देते हुए सदस्यों ने कहा कि कार्यकारिणी के संज्ञान में एजेंडा और कोई भी बैठक बुलाया जाना नियमावली का उल्लंघन है। रजिस्ट्रार से मांग की गई है कि वह सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट-1860 का इस्तेमाल कर इस संबंध में CaU में हो रही अनियमितताओं पर कार्रवाई करें। एक न्यूज रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से खबर छापी है कि आम सभा बुलाने के पीछे गुनसोला व माहिम की मंशा अपनी लॉबी के नए सदस्यों की तादाद बढ़ाना है। हाल ही में उनकी लॉबी से जुड़े 3 सदस्यों की मृत्यु हो गई है। 41 में से माहिम के 5 रक्त संबंधी कार्यकारिणी में वोट देने की हैसियत रखते थे। एक की मृत्यु के बाद ये संख्या 4 हो गई है। एक न्यूजीलैंड रहता है। ये भी आरोप लग रहे हैं कि CaU में सही को सही और गलत को गलत बोलने वाले उपाध्यक्ष संजय रावत, कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी, संयुक्त सचिव अवनीश वर्मा, सदस्य सूदी, तेजेन्द्र, रोहित समेत कुछ अन्य विरोधियों को संस्था से ही बाहर का रास्ता दिखाने की भी कोशिश हो रही। आम सभा में माहौल देख के इसका प्रस्ताव लाया जा सकता है।
CaU अध्यक्ष सचिव और इसके ओहदेदरों पर टीम चयन में भी धांधली करने के गंभीर आरोप लगातार लगते रहे हैं। भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज वसिम जाफ़र ने Head Coach पद से इस्तीफा देने के लिए माहिम की ही चयन और अन्य फैसलों में दखलअंदाजी को दोषी ठहराया था। महिम ने इस पर जाफ़र को क्रिकेट मैदान में नमाज पढ़ने के आरोप लगा दिया था। इस पर बवाल हुआ तो माहिम को अपने बयान का खंडन करना पड़ा था। त्रिवेन्द्र सरकार के दौरान गैरसैण में खुद खेल मंत्री ने काँग्रेस विधायक करण माहरा के सवाल उठाए जाने पर CaU के खिलाफ सरकारी जांच का ऐलान किया था। अभी तक सचिव स्तर के IAS जांच अधिकारी तक सरकार तय नहीं कर पाई है। सरकार पर ये आरोप लग रहे हैं कि क्या वह केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के डर से CaU के खिलाफ तमाम आरोपों और राज्य की प्रतिभाओं के साथ घिनौने खिलवाड़ के बावजूद खामोश बैठी है? अमित शाह के पुत्र जय बोर्ड में सचिव हैं।
सरकार के हाथ में कार्रवाई के लिए काफी कुछ है। रजिस्ट्रार महकमा तो सीधे कार्रवाई कर सकता है। अगर सारे आरोप सही साबित हुए तो वह CaU का पंजीकरण रद्द कर सकता है। इस पर उसकी बोर्ड मान्यता भी खत्म हो जाएगी। हालांकि बीजेपी के ही कई दिग्गज नेताओं ने जय शाह के कारण जांच न होने की संभावना को खारिज कर दिया। उनके मुताबिक जय इस तरह के घोटालों-धांधलियों के आरोपों में शरीक लोगों को बचा के अपने से अधिक पिता और बीजेपी का नाम कभी खराब नहीं होने देंगे।
तीन पदाधिकारियों ने किया आमसभा का बहिष्कार
क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड के उपाध्यक्ष संजय सिंह रावत, कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी, सहसचिव अवनीश वर्मा ने 21 मार्च को देहरादून में बुलाई गई सीएयू की आमसभा के बहिष्कार की घोषणा की। इस संबंध में उन्होंने अध्यक्ष को हस्ताक्षरयुक्त पत्र देकर सूचित किया। बताया कि हमने फरवरी में पत्राचार से अवगत कराया था कि एपेक्स काउंसलिंग की बैठक करानी आवश्यक है। इसके बावजूद बैठक नहीं कराई गई और आमसभा आयोजित की जा रही है। तीन पदाधिकारियों के अनुमोदन पर बैठक न कराना संविधान का उल्लंघन है। संस्था में वित्तीय संबंधी अनियमितताएं हैं। इसे एपेक्स काउंसलिंग के समक्ष रखा जाना जरूरी था। इसके बाद आमसभा कराई जाती। इस परिस्थितियों में वार्षिक आमसभा न्यायोचित नहीं है। ऐसे में वे आम सभा का बहिष्कार कर रहे हैं।