… तो शाम चार बजे इस्तीफा देंगे सीएम त्रिवेंद्र रावत, अमित शाह की डांट से एक नेता हुए सीएम दौड़ से बाहर
उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर सियासी अटकलों का दौर जारी है। आला अधिकारियों से मुलाकात के बाद से ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत गत रात डैमेज कंट्रोल में जुटे रहे। वहीं, वह दिल्ली से देहरादून पहुंच गए हैं। जौलीग्रांट एयरपोर्ट में उन्होंने किसी से बात नहीं की। चुपचाप निकल गए। अब देखना ये है कि आला कमान ने उन्हें डैमेज कंट्रोल के लिए वक्त दिया या फिर इस्तीफा देने को कहा है। फिलहाल आला नेताओं की ओर से उत्तराखंड के संदर्भ में कोई घोषणा अभी तक नहीं की गई है। वहीं चर्चा है कि शाम चार बजे सीएम राजभवन जाकर इस्तीफा देंगे। इसी दौरान नए सीएम का शपथ ग्रहण भी होगा। सीएम के लिए भी अब चौंकाने वाला नाम सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्यपाल से मिलने का शाम चार बजे का वक्त ले लिया है। उधर सीएम की दौड़ में शामिल एक वरिष्ठ नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फोन के बाद चुप बैठ गए हैं।
मुन्ना सिंह चौहान का बयान भी घुमावदार
कल रात ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से त्रिवेंद्र सिंह रावत की मुलाकात के बाद दिल्ली में उत्तराखंड भाजपा के प्रवक्ता एवं विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने दावा किया कि किसी भी भाजपा नेता की सीएम को लेकर नाराजगी नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या सीएम बने रहेंगे तो उनका कहना था कि इसमें मैं कुछ नहीं कह सकता हूं। ये फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड का होता है। साथ ही उन्होंने इस खबर को भी खारिज किया कि देहरादून में भाजपा विधानमंडल की कोई बैठक नहीं बुलाई गई है। अब मुन्ना सिंह चौहान के बयान के कई मायने लगाए जा रहे हैं।
फूंक फूंक कर कदम रख रही भाजपा
सूत्र बता रहे हैं कि पांच राज्यों में चुनाव के चलते भाजपा फूंक फूंक कर कदम रख रही है। यदि सीएम बदले जाते हैं तो उसका ये संदेश न चला जाए कि विधायकों में विद्रोह के चलते ऐसा किया गया है। ऐसे में एक रास्ता ये नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम की जिम्मेदारी से मुक्त कर पार्टी संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है और किसी दूसरे को सीएम बनाया जा सकता है। ताकी मुख्यमंत्री बदलने पर भाजपा की बदनामी न हो।
यहां से शुरू हुई थी नेतृत्व परिवर्तन की हलचल
शनिवार छह मार्च को एक तरफ चमोली जिले में ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था। उसी दौरान अचानक सीएम सहित अन्य विधायकों को देहरादून पहुंचने का फरमान जारी होता है। इस बैठक के चलते विधानसभा का बजट सत्र भी बीच में छोड़कर सीएम सहित कोर कमेटी के सदस्य और विधायक देहरादून कूच कर गए थे।
पर्यवेक्षक ने बुलाई थी बैठक
असल में असम चुनाव के लिए लिस्ट फाइनल होते ही भाजपा के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने पर्यवेक्षक के रूप में वरिष्ठ भाजपा नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को उत्तराखंड भेजा। उन्होंने कोर ग्रुप की बैठक ली। इस बैठक में भाजपा के प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम भी थे। बाद में ये दोनों नेता फीडबैक लेकर दिल्ली रवाना हो गए थे। वहीं, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक तो यूपी के विमान से देहरादून आना था, लेकिन वे देर से देहरादून पहुंचे। वह बैठक में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने जौलीग्रांट एयरपोर्ट में इन पर्यवेक्षक और प्रदेश प्रभारी से भेंट की। उधर, भाजपा के महामंत्री संगठन अजय को भी कोलकाता से विशेष विमान से देहरादून बुलाया गया था। इससे संकेत मिल रहे थे कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।
कल दिल्ली पहुंचे थे सीएम
नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं के बीच कल सुबह ही सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत विधायक मुन्ना सिंह चौहान, कुछ विधायकों और महापौर सुनील उनियाल गामा के साथ दिल्ली पहुंच गए थे। ये नेता भाजपा के आला नेताओं मिलने का दिन भर प्रयास कर रहे थे। वहीं देर शाम रात पहले उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद वे बगैर किसी सुरक्षा के एक कार से सांसद अनिल बलूनी से मिलने गए। दोनों में करीब आधे घंटे तक बात हुई। इसके बाद सीएम ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।
डैमेज कंट्रोल में जुटे सीएम, बहुगुणा से की फोन पर बात
इन मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री रात को डैमेज कंट्रोल के लिए जुटे। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता विजय बहुगुणा से फोन पर बात की। इसके बाद पूर्व सीएम का पुत्र सौरभ बहुगुणा ने रात को सीएम त्रिवेंद्र से मुलाकात की। वहीं, आज रात को सीएम की पुष्कर सिंह धामी से भी मुलाकात हुई। इसे डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है। भाजपा के सूत्र बता रहे हैं कि सीएम को डैमेज कंट्रोल का कुछ वक्त दिया गया है। ये वक्त आज शाम तक के लिए है।
नहीं बनती बात तो शाम को जाएंगे राजभवन
बताया यहां तक जा रहा है कि आज शाम तक यदि डैमेड कंट्रोल नहीं होता तो शाम को चार बजे सीएम राजभवन जाकर इस्तीफा सौंप सकते हैं। वहीं, डैमेज कंट्रोल के तहत 12 से 14 मार्च तक भाजपा के चिंतन शिविर को आयोजित करने की भी योजना है।
कार्यक्रम छोड़ देहरादून आए थे सीएम
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सात मार्च को चमोली जिले के गैरसैंण में पहुंचे थे। वहां उनका सोमवार आठ मार्च को भी कार्यक्रम था। वे वहां से दो घंटे के बाद ही देहरादून को रवाना हो गए थे। महिला दिवस के मौके पर सीएम के गैरसैंण में कार्यक्रम तय थे। देहरादून लौटने के बाद वे पूरी रात भर फाइल निपटाते रहे। आज तड़के ही करीब तीन बजे वह सोने गए। सुबह साढ़े दस बजे दिल्ली के लिए निकल गए। दिल्ली में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनका दौरा सामान्य दौरा है। आला कमान से कुछ मुद्दों पर बात होनी है।
पर्यवेक्षक का काम
भाजपा के रणनीतिक जानकारों के मुताबिक पर्यवेक्षक का काम नेता चुनने में मदद करना होता है। जब कोई नेता बदलना होता है, या फिर पार्टी संगठन में कोई संकट आता है, तब भी पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाता है। ऐसे में अचानक पर्यवेक्षक भेजना और विधानसभा सत्र को बीच में ही बैठक तरह तरह की चर्चाओं को हवा दे गया है। बताया ये भी गया कि भाजपा के करीब 22 विधायक विद्रोह की स्थिति में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बगावत करने वाले कांग्रेसी विधायक भी शामिल हैं।
सीबीआइ केस भी है गले की फांस
सूत्र बताते हैं कि सीएम के खिलाफ हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में स्टे है। इस पर दस मार्च को सुनवाई होनी है। ऐसे में भाजपा हाई कमान आगामी चुनाव को देखते हुए कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है।
विधायकों में है नाराजगी
बताया ये भी गया कि भाजपा के करीब 22 विधायक विद्रोह की स्थिति में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बगावत करने वाले कांग्रेसी विधायक भी शामिल हैं। इन विधायकों का आरोप है कि सीएम उन्हें तव्वजो नहीं देते हैं। हालांकि सीएम पर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं। गाहेबगाहे भाजपा विधायक कई बार विधानसभा सत्र में भी सरकार के खिलाफ ही आवाज उठा चुके हैं।
गैरसैंण मंडल से भी है नाराजगी
कई भाजपा के प्रदेश के दिग्गजों को गैरसैंण को मंडल बनाने की घोषणा से भी नाराजगी है। इसमें चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिले को शामिल किया जा रहा है। इससे अभी तक गढ़वाल और कुमाऊं की अलग-अलग राजनीति करने वाले नेताओं का दायरा कम होने की संभावना है। साथ ही विरोध करने वालों का कहना है कि बोली व सस्कृति के आधार पर गढ़वाल और कुमाऊं मंडल थे। दोनों मंडल के दो दो जिले आपस में मिलने से उनकी पहचान खत्म हो जाएगी। साथ ही अल्मोड़ा जिला सबसे पुराना शहर है। इसकी अपनी सांस्कृति पहचान को बड़ा खतरा है।
नेता बदलने की भाजपा में पहले से परंपरा
भाजपा में मुख्यमंत्री बदलने की परंपरा उत्तराखंड के गठन से बाद से ही होती रही है। पहले नित्यानंद स्वामी को हटाकर उनके स्थान पर भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था। फिर मेजर जनरल (अ.प्रा.) भुवन चंद्र खंडूड़ी के को हटाकर रमेश पोखरियाल निशंक को सीएम बनाया गया। इसके बाद फिर अगला चुनाव खंडूड़ी के नाम पर लड़ा गया। इसी तरह त्रिवेंद्र सिंह को सीएम बने चार साल पूरे हो रहे हैं। गाहेबगाहे उन्हें बदलने की चर्चा अक्सर उठती रही है। हर बार त्रिवेंद्र विरोधियों को मात देते आते रहे हैं।
कौन होगा सीएम
अभी ये तय नहीं है कि उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री के रूप में कौन होगा। फिलहाल कई नाम सामने आ रहे हैं। इनमें पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी, सांसद अजय भट्ट के नाम लिए जा रहे हैं। एक नया नाम राज्यमंत्री धन सिंह रावत का भी लिया जा र हा है। आला कमान किसे तय करता है। या फिर त्रिवेंद्र ही सीएम रहते हैं। ये आने वाला वक्त बताएगा।
एक नेता को गृह मंत्री ने लगाई डांट
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की डांट के बाद से एक नेता सीएम की दौड़ से बाहर हो गए और उनके समर्थकों को चुप्पी साध ली। बताया जा रहा है कि सीएम की दौड़ में एक वरिष्ठ नेता का नाम भी आगे चल रहा था। कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उक्त नेता को फोन पर कड़ी डांट लगा दी। इसके बाद उक्त नेता के समर्थकों ने चुप्पी साध ली।